शनिवार को इस स्मारक को पुलिस फाॅर्स ने ध्वस्त कर दिया है। पोटाली गांव के बीच लगने वाले साप्ताहिक बाजार के पास नक्सलियों का एक 15 फीट ऊंचा स्मारक था। ग्रामीणों का कहना है कि वर्गीस माड़वी और लिंगा गांव में आते थे। उनकी मौत के बाद समर्थकों ने इसे बनाया है। डीआरजी की टीम ने इन्हें दुवालीकरका में सात माह पहले मुठभेड़ के दौरान मार गिराया था।
पुलिस के मुताबिक इनामी दोनों नक्सली लीडर बम और एंबुश लगाने में एक्सपर्ट थे। विधायक भीमा मंडावी की हत्या के मुख्य आरोपी भी थे। लोकसभा चुनाव के दौरान श्यामगिरी में बम विस्फोट कर भीमा का वाहन उड़ाया गया था जिसमें भीमा सहित उसके चार अंगरक्षक शहीद हो गए थे। नक्सली वर्गीस को भीमा की हत्या का मास्टर माइंड बताया जाता है। उल्लेखनीय है कि कुआकोंडा ब्लॉक के पोटाली पुलिस कैंप का विरोध ग्रामीण शुरू से करते आ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पालनार में धरना प्रदर्शन भी किया था। कैंप खुलने के बाद पारंपरिक हथियार के साथ घेराव करने की कोशिश भी हुई जिसे जवानों ने विफल कर दिया।
सावधानी बरत रही थी फोर्स
पोटाली में कैंप खुलने के बाद भी नक्सली स्मारक का मौजूद रहना कई सवालों को जन्म दे रहा है। आखिर फोर्स स्मारक को अब तक कैसे साबूत छोड़ दिया। इस पर एसडीओपी किरंदुल देवांश राठौर का कहना है कि यह पूरा इलाका नक्सलियों के कब्जे में सालों से रहा है। हो सकता है स्मारक के आसपास बम प्लांट किया गया हो इसलिए फोर्स पूरी तरह से एहितयात बरत रही थी जिसे आज ध्वस्त कर दिया गया।