दरअसल, मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना स्पेशल ट्रेन मंगलवार को शाम 4.37 पर अपने निर्धारित समय से देरी से दमोह रेलवे स्टेशन पर पहुंची थी। जहां से 4.44 पर ट्रेन को रवानगी दे दी गई। दमोह स्टेशन से 200 वृद्धों सहित करीब 500 लोगों को इस ट्रेन में सवार होना था। इसके बाद भी महज ५ मिनट का स्टॉपेज दिया गया। हालांकि, ट्रेन 7 मिनट बाद रवाना हुई, लेकिन यह समय भी यात्रियों के लिए पर्याप्त नहीं है। जिससे व्यवस्थाएं चौपट दिखीं।
200 यात्री वाराणसी, अयोध्या यात्रा के लिए रवाना जानकारी के अनुसार दमोह जिले से वाराणसी, अयोध्या तीर्थ यात्रा के लिए 268 ने आवेदन किए थे। लॉटरी के माध्यम से 200 यात्रियों का चयन किया गया, जिन्हें उनके परिजनों ने यात्रा के लिए रवाना किया।
गिरते, संभलते वृद्धों को बैठाया ट्रेन में प्रशासन की इस लापरवाही का ही नतीजा था कि ट्रेन 7 मिनट के स्टॉप के बाद हॉर्न देकर बढऩे लगी। इस बीच 5 से 7 वृद्ध ट्रेन में सवार नहीं हो सके थे। ऐसे में यहां मौजूद लोगों ने चीखना शुरू किया। कुछ ने पायलट को रोकने के लिए कहा। यहां मौजूद पुलिसकर्मियों से भी ट्रेन रोकने के प्रयास किए, लेकिन रुकता नहीं देख उन वृद्धों को उठाकर ट्रेन के अंदर किया गया। ऐसे में चलती ट्रेन में ही कुछ वृद्धों को बैठाया गया। जिससे कुछ गिरते-गिरते तक बच गए और हादसा भी टल गया।
प्रशासनिक लापरवाही देखने मिली इस दौरान सबसे ज्यादा प्रशासनिक लापरवाही देखने मिली। दरअसल, योजना के लाभार्थियों को समुचित व्यवस्था और उनकी सुरक्षा के स्पष्ट निर्देश थे। लेकिन, दमोह रेलवे स्टेशन पर ऐसी कोई व्यवस्था प्रशासन की ओर से देखने नहीं मिली। यहां न तो पूछताछ के लिए कोई स्टॉल बनाया गया था। न ही कोई बताने वाला था कि ट्रेन के डिब्बे कहां लगेंगे। इसके अलावा जिम्मेदार अधिकारी भी मौके से नदारद थे। यात्रियों के अलावा उनके साथ जाने वाले व्यक्ति, परिजन और टीम के शासकीय कर्मचारी थे, इनके पास भी ज्यादा जानकारी नहीं थी। यहां तक कि इन कर्मचारियों को यह तक नहीं पता था कि ट्रेन स्टेशन पर महज 5 से 7 मिनट ही रुकेगी। यही वजह रही की पूरी तरह से व्यवस्था गड़बड़ा गई।
सभी निकायों को यात्रियों को सम्मान पूर्वक ट्रेन में सवार करने और व्यवस्था, सुरक्षा संबंधी निर्देश दिए गए थे। स्टेशन पर भी व्यवस्था नहीं रही, इसका पता कराते हैं। बृजेश कुमार ङ्क्षसह, नोडल अधिकारी तीर्थदर्शन योजना