जारी है शिक्षकों को मनमानी का दौर
दमोह. कलेक्टर की हिदायत के बावजूद सरकारी स्कूलों में हालात नहीं सुधर रहे। सबसे खराब स्थिति ग्रामीण अंचलों के स्कूलों में है। इनमें पथरिया तहसील क्षेत्र, हटा, जबेरा, तेंदूखेड़ा तहसील के दूरस्थ गांवों में संचालित स्कूल प्रमुख है। यहां शिक्षकों की लगातार मनमानी देखने को मिल रही है। जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि कलेक्टर ने दिसंबर तक कोर्स पूरा कराने का जो टारगेट रखा है, वो कैसे पूरा होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में जिस तरह की स्थिति है। उसे देखकर यही लगता है कि इस बार भी सत्र पूरा हो जाएगा, लेकिन कोर्स अधूरा रह जाएगा। दरअसलए स्कूलों में शिक्षक निर्धारित समय पर नहीं पहुंच रहे हैं। स्कूल खुलने का जो समय है, शिक्षक उसके एक.दो घंटे बाद पहुंच रहे हैं। इस दौरान वक्त पर पहुंचने वाले बच्चे या तो स्कूल के बाहर खड़े रहते हैं या फिर स्कूल खुलने पर शिक्षकों की अनुपस्थिति में खेलते हुए समय गुजारते हैं। हैरानी की बात ये है कि जहां पर शिक्षक समय पर स्कूल पहुंच रहे हैंए वहां पढ़ाई हो रही होए तो ऐसा भी नहीं है। क्योंकि ऐसे कई स्कूल हैं जहां समय पर स्कूल पहुंचे शिक्षक क्लास अटेंड करने बजाए ज्यादातर समय स्टाफ रूम में बैठकर गप्पे लड़ाकर निकाल रहे हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होना और कोर्स पिछडऩा स्वाभाविक है। शिक्षकों की मनमानी को लेकर शिकायतें भी लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन विकासखंड स्तर पर बीआरसी और बीइओ ऑफिसों में बैठे शिक्षा विभाग के अधिकारी जानबूझकर अनजान बने हुए हैं। अधिकारियों द्वारा स्कूलों का औचक निरीक्षण कर स्थिति पता करने का प्रयास तक नहीं किए जा रहे हैं। यहां बता दें कि बीते सेशन में जिले के प्राथमिक स्कूलों से लेकर हायर सेकंडरी स्कूलों के छात्रों का कमजोर पढ़ाई के चलते रिजल्ट बिगड़ गया था। इस पर कलेक्टर ने गौर किया और कमियां पकड़ी। जिसके बाद उन्होंने स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए शिक्षकों को खास हिदायत दी थी। इसी महीने के प्रथम सप्ताह में आयोजित एक बड़ी बैठक के दौरान शिक्षकों को निर्देश दिए थे कि स्कूल समय पर पहुंचे और दिसंबर तक कोर्स पूरा कराएं। ताकि परीक्षा से पहले दो माह में रिवाइज भी हो सके। हालांकि कलेक्टर के इन निर्देशों पर शिक्षकों की मनमानी पानी फेर रही है।