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दमोह

मैं रंगमच का साधक हूं, मंडी में बिकने वाला नहीं

प्रसिद्ध रंगकर्मी आलोक चटर्जी ने रखी अपनी बात

दमोहDec 31, 2019 / 10:17 pm

Rajesh Kumar Pandey

Famous stage actor Alok Chatterjee spoke

Famous stage actor Alok Chatterjee spoke

दमोह. राष्ट्रीय नाट्य शिविर में इस समय प्रसिद्ध रंगकर्मी आलोक चटर्जी प्रशिक्षण दे रहे हैं। मंगलवार को मीडिया से रू-ब-रू होते हुए उन्होंने कहा कि मैं रंगकर्मी बनने दिल्ली एनएसडी गया था। यदि फिल्मों में जाना होता तो फिल्म इंस्टीट्यूट पुणे में दाखिला लेता।
मप्र राज्य नाट्य अकादमी के निदेशक आलोक चटर्जी ने बताया कि वह जहां भी जाते हैं वह अपनी मातृ भूमि दमोह जहां जन्म हुआ है वहीं का बताते हैं। उनके पिता जी रेलवे में कर्मचारी थे, 1961 में रेलवे क्वार्टर में उनका जन्म हुआ था, आठवीं तक की पढ़ाई दमोह में हुई। उसके बाद पिता का तबादला जबलपुर होने के बाद शेष पढ़ाई जबलपुर में करने के बाद राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली में दाखिला लिया। वहां पर गोल्ड मेडल मिला, ओमपुरी के बाद आलोक चटर्जी ही एनएसडी के गोल्ड मेडलिस्ट हैं। वह प्रसिद्ध अभिनेता इरफान खान के क्लासमेट रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि आप फिल्मों को क्यों पसंद नहीं करते तो उन्होंने कहा कि मैंने एनएसडी का नमक खाया है, जिससे रंगकर्म मेरे खून मेें है। मैं मंडी में बिकने वाला रंगकर्मी नहीं हूं।
मैं पूरे भारत में विरासत छोड़ रहा हूं
मैं रंगकर्म के लिए अपनी जीवन जी रहा हूं। मैं पूरे देश में कार्यशाला कर प्रशिक्षण दे रहा हूं। आलोक चटर्जी कल रहे न रहे लेकिन उनके द्वारा विरासत में जो रंगमंच का प्रशिक्षण दिया है, उनके सिखाए कलाकार देश के हर हिस्से में है, यही उनकी सबसे बड़ी विरासत है, जिसे वह पीछे छोड़कर जाएंगे।
मोए बुंदेलखंडी नोनी लगत है
आलोक चटर्जी ने कहा कि वह बुंदेलखंड से प्यार करते हैं, क्योंकि यह उनकी जन्म भूमि है। बुंदेलखंड पर बहुत काम कर रहे हैं। बुंदेलखंड का इतिहास पुराना है। यहां बुंदेला क्रांति मंगल पांडेय से पहले की है। जिस पर उन्होंने छतरपुर से नाटक तैयार किया। इसलिए अब बुंदेलखंड के लिए समर्पित रंगमंच की विरासत भी तैयार कर रहे हैं।
हिंदी भाषा का रंगमंच सर्वश्रेष्ठ
आलोक चटर्जी के नजरिए में हिंदी भाषा का रंगमंच विश्व में सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि इस लोकतांत्रिक, जनतांत्रिक सहित समृद्ध कलाएं वशीभूत हैं। इसलिए वह हिंदी भाषा को महत्व देते हैं क्योंकि अंग्रेजी में वह बात नहीं है जो हिंदी में है।
हर विद्यार्थी गोल्ड मेडलिस्ट
प्रदेश का पहला राष्ट्रीय नाट्य शिविर दमोह में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें प्रत्येक प्रतिभागी गोल्ड मेडलिस्ट है क्योंकि सितारे तो सितारे होते हैं। इस रंगमंच की दुनियां में जो अदाकारी के फन में माहिर होता है, वहीं गोल्ड मेडलिस्ट हो जाता है।

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