script518 करोड़ की सीतानगर सिंचाई परियोजना में विभागीय अधिकारियों ने लगाई सेंध | Departmental officials made a dent in the Sitanagar irrigation project worth 518 crores | Patrika News
दमोह

518 करोड़ की सीतानगर सिंचाई परियोजना में विभागीय अधिकारियों ने लगाई सेंध

सीतानगर सिंचाई नहर पाइप परियोजना में जमकर भ्रष्टचार किया गया है। एक ओर जहां करोड़ों की राशि खर्च होने के बाद भी तय गांवों तक पानी नहीं पहुंचा है, तो वहीं जहां पाइप लाइन पहुंची है, उनमें कई गांव ऐसे हैं, जिन्हें रबी सीजन में सिंचाई का लाभ नहीं मिला है।

दमोहJul 15, 2024 / 11:40 am

pushpendra tiwari

दमोह. 518 करोड़ की लागत से तैयार होने वाली सीतानगर सिंचाई नहर पाइप परियोजना में जमकर भ्रष्टचार किया गया है। एक ओर जहां करोड़ों की राशि खर्च होने के बाद भी तय गांवों तक पानी नहीं पहुंचा है, तो वहीं जहां पाइप लाइन पहुंची है, उनमें कई गांव ऐसे हैं, जिन्हें रबी सीजन में सिंचाई का लाभ नहीं मिला है। इधर जलसंसाधन विभाग के सरकारी रिकार्ड के अनुसार प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है। हालांकि अधिकारी इस बात को भी स्वीकार रहे हैं कि वह प्रोजेक्ट पूरा होने के पहले साल सभी जगहों पर पानी नहीं पहुंचा पाए। जलसंसाधन विभाग के ईई की माने, तो वह किसानों को ही इसका जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
सैकड़ों करोड़ खर्च फिर भी धरती प्यासी

५१८ करोड़ की मध्यम वर्गीय सिंचाई पाइप नहर परियोजना को दो पार्ट में बांटा गया है। जिसमें जल संसाधन विभाग को ८४ गांवों में रबी सीजन की फसलों के लिए पानी पहुंचाना था। जो नहीं हुआ है। वहीं जलनिगम को ३७५ गांवों की जलापूर्ति करनी थी, जो अब तक शुरू नहीं हो सकी है। प्रोजेक्ट सेक्शन इंजीनियर हरिओम पांडे का कहना है कि उन्हें सिर्फ ५१ गांवों में सिंचाई के लिए पानी पहुंचाना है। बाकी गांवों के लिए अलग से प्रोजेक्ट बनेगा।
शासन को पुन: चपत लगाने की योजना

प्रोजेक्ट की घोषणा के दौरान, जो घोषणा पत्र जारी हुआ था, उसमें ८४ गांव तक सिंचाई उपलब्ध होनी थी। ऐसे में ३३ गांवों में पाइप लाइन नहीं बिछाना सवालों में हैं। इधर जल संसाधन विभाग ने इसका हल शासन को दोबारा करोड़ों की अलग से चपत लगाने के रूप में निकाला है। जिसमें अधिकारी कह रहे हैं कि ३३ गांवों की सिंचाई के लिए अलग से प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है, जिसकी प्रशासकीय स्वीकृति बाद टैंडर प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
इधर, निर्माण एजेंसी का एक और बहाना

परियोजना के तहत पाइप लाइन बिछाने के काय व डैम निर्माण कार्य में भरपूर लापरवाहियां बरतीं गईं। कंस्ट्रक्शन को लेकर लोगों द्वारा घटिया निर्माण के आरोप लगाए, जिनकी शिकायतें हुईं पर अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की। सूत्र बताते हैं कि कमीशनबाजी के चक्कर में निर्माण एजेंसी को गड़बड़ी करने की सह मिली। वहीं जिन गांव क्षेत्रों में रबी सीजन में फसलों की सिंचाई के लिए पानी नहीं पहुंचा, वहां के किसानों को ही जिम्मेदार ठहरा जा रहा है। दरअसल पहली साल की टेस्टिंग के दौरान घटिया कार्य के चलते पाइप लाइनें जगह जगल फूटी, साथ ही कई जगहों पर लाइनों को जोडऩे वाले कपलर प्रेशर नहीं झेल पाए और टूट गए। इधर जब गड़बड़ी सार्वजनिक हुई, तो अधिकारियों ने खुद का बचाव करते हुए किसानों को आरोपित ठहरा दिया। जलसंसाधन विभाग के ईई शुभम अग्रवाल बताते हैं कि ग्रामीणों द्वारा लाइन के से साथ तोडफ़ोड़ की गई थी। जबकि ग्रामीणों का कहना था कि लाइन टेस्टिंग के दौरान ही कई जगहों से पाइल लाइने फूटीं और सुधार का काम नहीं किया गया।
तेल की धारा की तरह पानी की धार

इस रबी सीजन की बात की जाए, तो खेतों में ङ्क्षसचाई के लिए प्रेशर से पानी पहुंचना जरूरी रहता है, लेकिन कुछ गांवों में पानी का प्रेशर न के बराबर रहा, तो कुछ जगहों पर पानी ही नहीं पहुंचा। इधर किसानों को सिंचाई के अभाव में नुकसानी झेलनी पड़ी। मामले में पड़ताल की, तो बताया कि प्रोजेक्ट में चार ११०० केवी के पंप, व चार ६५० केवी के पंप उपयोग किए गए हैं, इनसे १६ हजार २०० हेक्टेयर जमीन को सिंचित किया जाना है। जो लक्ष्य पूरा नहीं हुआ।
जिम्मेदारों ने खूब काटी चांदी

करोड़ों के इस प्रोजेक्ट में जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा जमकर अनैतिक लाभ उठाया गया है। जिसके आरोप भी शुरू से लगते रहे। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की बड़ी परियोजना में हुए घोटालों में सीतानगर परियोजना भी शामिल है। वहीं आगामी सीजन में सिंचाई की बात करें, तो तीन माह बाद शुरू होने वाले रबी सीजन में सभी जगहों पर सिंचाई हो पाएगी यह भी तय नहीं है, क्योंकि लाइनों के कुछ पार्टस विभाग अब तक नहीं जुटा पाया है।
वर्जन

मैं मानता हूं कि इस साल सभी जगहों पर सिंचाई के लिए पानी नहीं पहुंचा है। पहली साल थी, इसमें जो पार्टस खराब हुए उन्हें बाहर से मंगाया जा रहा है। वहींं प्रेशर नहीं होने की वजह यह है कि किसानों ने मनचाही जगहों पर कनेक्शन कर लिए हैं।
शुभम अग्रवाल, ईई जलसंसाधन विभाग

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