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दमोह

किसी भी व्यक्ति के जहर खाने से पहले मिलते हैं संकेत, आप भी जानिए हकीकत

थम नहीं रहा जहर खाने वालों का सिलसिला हर चौथे दिन एक व्यक्ति खा रहा जहर ६६ दिनों में ४५ भर्ती १४ की मौत

दमोहMar 07, 2019 / 10:10 pm

lamikant tiwari

Any person gets poison before eating poison, you also know the realit

Any person gets poison before eating poison, you also know the realit

दमोह. जहर खाने वालों की संख्याओं में लगातार इजाफा होता जा रहा है। अगर हम आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो जिले में हर दूसरे दिन एक व्यक्ति जहरीला पदार्थ खाने से भर्ती किया जा रहा है। जिसमें हर चौथे दिन एक व्यक्ति की जहरीला पदार्थ खाने से मौत हो रही है। इसमें अधिकांशत: देखने में मिल रहा है कि जो व्यक्ति बच जाता है उसमें से अधिकांश लोग धोखे से जहर खाने की बात कहते हैं। जबकि २० फीसदी लोग जहर खाने का कारण किसी रंजिश या पारिवारिक विवाद को बताते हैं। महिलाओं में जहर खाकर जान देने के मामलों में अधिकांशत: मौत होने पर उसके मायका पक्ष ससुराल पक्ष पर प्रताडऩा का आरोप लगाते हैं। जिसमें आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है।
जिले भर में जहर खाने के बाद चारों विधानसभाओं से गंभीर स्थिति में रहने वाले मरीज को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है। यहां भी यदि उसकी स्थिति गंभीर रहती है तो उसे जबलपुर रेफर कर दिया जाता है। यह क्रम निरंतर चलता रहता है। लेकिन बीते साल की तरह इस वर्ष यह सिलसिला कुछ अधिक ही तेजगति से आगे बढ़ रहा है। जिसमें छोटी-छोटी बातों पर जहर खाने से भी मरीजों को भर्ती कराया जा रहा है।

अब तक ४५ भर्ती, १४ की मौत-
जिले में इस वर्ष अभी तक कुल ४५ लोगों को जहरीला पदार्थ खाने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसमें से १४ की मौत हो गई। वर्ष २०१९ में जनवरी में करीब १५ लोगों को जहर खाने से भर्ती कराया गया था। उसके बाद यह संख्या लगभग डेढ़ गुना से अधिक हो गई। जिसमें फरवरी में जहर खाकर भर्ती होने वालों की संख्या २४ रही। मार्च में भी ७ मार्च तक जहर खाकर भर्ती होने वालों की संख्या ६ पर पहुंच गई।
उचित नहीं है यह कदम –
वरिष्ठ महिला समाज सेवी डॉ. ऋतु दुआ का कहना है कि किसी मुश्किलों के बाद इंसान का जन्म मिलता है। इसलिए जितना बेहतर हो सके जीवन को खुशियों के साथ जीना चाहिए। हर परिवार में कुछ न कुछ चलता रहता है। इसका मतलब यह नहीं कि जहर खाकर हम अपनी जीवन लीला समाप्त कर दें। यह कदम पूरी तरह से अनुचित है। क्योंकि एक व्यक्ति के जाने के बाद उसका पूरा परिवार दुखी रहता है। किसी व्यक्ति के बिछऩे के बाद उसकी पूर्ति कर पाना किसी भी परिवार के लिए संभव नहीं हो पाता।
डिप्रेशन के कारण बनती है इस तरह की स्थिति-
मनोविज्ञान चिकित्सक डॉ. दिवाकर पटैल का कहना है कि डिपे्रशन के कारण इस तरह से लोग कदम उठाते हैं। जिसमें इंसान में लक्षण होना पाया जाता है। जिसमें अच्छा न लगना, बेचैन बना रहना, नींद न आना जैसे लक्षण के बाद व्यक्ति इस तरह से गलत कदम उठाता है। परिवार वाले इस पर ध्यान दें तो उसे रोका जा सकता है। किसी भी पारिवारिक परेशानी होती है। पारिवारिक समस्या फाइनेंसिलय लॉस होने पर वह आवेश में रहता है। जो इस तरह से जहर खाने का गलत कदम उठा लेता है।
इसलिए परिवार वालों को इस तरह के लक्षणों पर परिवार के सदस्य का ध्यान रखना चाहिए। समय से काउंसलिंग लें, डॉक्टर की सलाह लें। उन्होंने बताया कि कुछ लोग धोखे से खाते हैं और कुछ लोग डराने के लिए खा लेते हैं।
एक्सीडेंटल केस अधिक आते हैं। किसानों में भी यही बात सामने आई है कि व्यक्ति डिप्रेशन में जाने पर इस तरह का कदम उठाते हैं। जिले में आने वाले केसों में डिप्रेशन के केस ५० प्रतिशत होते हैं। जिन्हें बचाया जा सकता है।
जागरूक करने करेंगे यह कार्य –
सिविल सर्जन डॉ. ममता तिमोरी का कहना है कि वह लोगों को जागरुकता लाने के लिए पंपलेट्स का प्रकाशन करवा रहीं हंै। जिसमें विभिन्न प्रकार के लिए आवश्यक बातों को प्रकाशित कर आशाओं के माध्यम से गांव-गांव प्रचार कराया जाएगा।

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