व्लादिमीर पुतिन का दावा, 2021 तक रूसी सेना होगी सुपर… क्या हुआ था दिल्ली में अप्रैल 2002 के अंतिम सप्ताह में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों को सूचना मिली थी कि लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकवादी दिल्ली पहुंच रहे हैं और वे कई धमाके करनेवाले हैं।ख़ुफ़िया सूचना के आधार पर दिल्ली में लश्कर के आतंकी सज्जाद और उसके सहयोगी मेहराजुद्दीन पीर उर्फ हिलाल और फिरोज अहमद शेख उर्फ अबू मंसूर को निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से अरेस्ट कर पुलिस ने दिल्ली में सिलसिलेवार बम धमाका करने की साजिश को नाकाम कर दिया था। सज्जाद पर दिल्ली की एक अदालत में मुकदमा चलाया गया। कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया और उसे 10 साल के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया गया।
भारी मात्रा में मिले थे विस्फोटक दिल्ली पुलिस ने सज्जाद और उसके साथियों के पास से 5 kg आरडीएक्स, चार डेटोनेटर्स, एक रिमोट कंट्रोल डिवाइस, दो लाख कैश और एक सेलफोन बरामद किया था। तीनों आतंकियों ने पूछताछ में अपने दो अन्य साथियों के बारे में जानकारी दी थी। जिनमे एक लश्कर का कमांडर अबू बिलाल था।
कश्मीर: मोदी सरकार की तारीफ करने वाली अर्जुमाना को मिली सुरक्षा, पीएम ने जताया था आतंकी हमले का अंदेशा शुजात बुखारी की हत्या का मास्टरमाइंड दिल्ली की अदालत से दस साल कैद की सजा के बाद सज्जाद और उसके साथियों को तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। रिहाई के बाद सज्जाद कश्मीर गया जहां से वह मार्च 2017 में पाकिस्तान भाग गया। जम्मू कश्मीर पुलिस के मुताबिक वह पाकिस्तान से ही सारा आपरेशन कंट्रोल करता रहा है। पुलिस के मुताबिक सज्जाद के कहने पर ही मुजफ्फर अहमद, आजाद अहमद और नावेद जट ने श्रीनगर में बुखारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।