पुलिस को घर के अंदर से जो रजिस्टर मिला है, उससे ये बात तो लगभग तय मानी जा रही है कि भाटिया परिवार की मौत अंधविश्वास और मोक्ष की प्राप्ति के लिए हुई है और इस सामूहिक आत्महत्या की स्क्रिप्ट परिवार के सबसे छोटे बेटे ललित भाटिया का हाथों लिखी गई थी। ललित के पिता ने ही उसे ये सब करने के लिए गाइड किया था। ललित के पिता सपने में आकर मोक्ष की प्राप्ति का रास्ता बताते थे। जांच टीम सूत्रों के मुताबिक, रजिस्टर में लिखा है, ‘पिताजी ने कहा है कि आखिरी समय पर झटका लगेगा, आसमान हिलेगा, धरती हिलेगी, लेकिन तुम घबराना मत, मंत्र जाप तेज कर देना, मैं तुम्हें बचा लूंगा। जब पानी का रंग बदलेगा तब नीचे उतर जाना, एक दूसरे को नीचे उतारने में मदद करना, तुम मरोगे नहीं, बल्कि कुछ बड़ा हासिल करोगे।’
इस बात के सामने आने के बाद ये तय माना जा रहा है कि ललित ने अपने पिता के कहने पर ही इस सामूहिक आत्महत्या को अंजाम दिया। इसके अलावा भी एक जो हैरान करने वाली जानकारी रजिस्टर में मिली है वो ये है कि रजिस्टर में ‘वट सावित्री पूजा’ का भी जिक्र किया गया है। आपको बता दें कि ऐसी मान्यता है कि यह वह तपस्या है, जिसमें सावित्री ने वट वृक्ष (बरगद का पेड़) के नीचे पड़े अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से जीत लिया था, जिसके बाद से ही सावित्री के दृढ़ निश्चय व संकल्प की याद में महिलाएं अपने दीर्घ और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के साथ वट वृक्ष की पूजा करती हैं।
अब इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता है कि भाटिया परिवार भी इस तपस्या की कोशिश कर रहा था, क्योंकि रजिस्टर में ये भी लिखा पाया गया है कि अगर कोई कुछ खास रीतियों का पालन करता है तो उनकी समस्याएं सुलझती हैं और भगवान खुश होता है, जिस स्थिति में परिवार के 10 लोगों के शव लटके मिले हैं, वो भी कुछ ऐसी ही तस्वीर पेश कर रहे हैं। एक और बात ये है ‘वट सावित्री पूजा’ को पूर्णिमा के दौरान ही किया जाता है और 27-28 जून को पूर्णिमा थी। जांच टीम सूत्रों के मुताबिक 27 और 28 जून यानी पूर्णिमा के दिन भाटिया परिवार के घर में भी पूजा और हवन हुआ था। इसके बाद 30 जून मध्य रात्रि के बाद यह हादसा होने के दावा किया जा रहा है।