जानकारी के अनुसार कलामस्सेरी पुलिस स्टेशन में 30 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। यह शिकायत राजेश बाबू नाम के शख्स द्वारा दर्ज कराई गई थी। राजेश का आरोप था कि पीड़िता ने कार पार्किंग को लेकर उसके साथ अभद्रता और मारपीट की थी। वहीं, दुष्कर्म पीड़िता की ओर से भी राजेश और अन्य के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। यहां दुष्कर्म पीड़िता ने उन पर रास्ता रोकने और अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया था। वहीं पीड़िता का कहना था कि दुष्कर्म मामले में उसे पैरवी करने से रोकने लिए उसके खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कराया गया है।
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पीड़िता का आरोप था कि राजेश व उसके साथी दुष्कर्म मामले के आरोपी के इशारे पर काम कर रहे थे। इन लोगों की मंशा दुष्कर्म मामले में उसे कोर्ट पहुंचने से रोकना था। मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस के अब्राहम मैथ्यू की कोर्ट ने पाया कि राजेश के बयान और उसकी डॉक्टरी रिपोर्ट आपस में मैच नहीं कर रहे थे। जिसको आधार मानते हुए कोर्ट ने पीड़िता के खिलाफ दर्ज कराए मुकदमे को खारिज कर दिया। वहीं, दुष्कर्म मामले में खुद जिरह कर रही पीड़िता ने बताया कि..क्योंकि उसने घटना के साथ हैवानियत को सहा है, इसलिए उसके अलावा कोई अन्य व्यक्ति उसके साक्ष्यों को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं कर सकता। पीड़िता ने कोर्ट को उसकी दलीले और साक्ष्यों के विश्लेषण के लिए कोर्ट को शुक्रिया अदा किया।