विशेष न्यायालय पॉक्सो कोर्ट के विशिष्ट लोक अभियोजक संतोष मिश्रा ने बताया कि धौलपुर जिले के महिला पुलिस थाना पर एक परिवादी ने 16 फरवरी 2017 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमे उसने बताया कि उसकी 14 वर्षीय नाबालिग पुत्री 15 फरवरी 2017 को स्कूल पडऩे गई हुई थी। जब पुत्री स्कूल से घर नहीं आई तो पीडि़त ने स्कूल संचालक से संपर्क किया। स्कूल संचालक ने पीडि़त से कहा बच्ची को आते ही घर भिजवा दूंगा और रिपोर्ट दर्ज नहीं कराए। जब नाबालिग घर नहीं पहुंची तो पीडि़त ने महिला पुलिस थाना पर मामला दर्ज करा दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर नाबालिग को दस्तयाब कर कोर्ट में पेश कर बयान दर्ज कराए। साथ ही रैप सम्बन्धी मेडिकल भी कराया। पुलिस ने मामले में बालक को निरुद्ध कर प्रिंसीपल मजिस्ट्रेट धौलपुर के यहां पेश किया। प्रिंसीपल मजिस्ट्रेट ने बालक को व्यस्क मानते हुए पत्रावली पॉक्सो कोर्ट में ट्रायल के लिए भेज दी। पुलिस ने आरोपी को पॉक्सो कोर्ट में पेश किया। आरोपी ने मामले में हाईकोर्ट से जमानत ले ली। जमानत जब्त होने के बाद आरोपी जेल में बंद चल रहा है। मामले में लोक अभियोजक मिश्रा ने कोर्ट में 22 गवाह पेश कर दस्तावेजों को साबित कराया। प्रकरण में न्यायाधीश राजकुमार ने दोनों पक्षों की बहस और लोक अभियोजक की दलील सुनने के बाद गुरुवार को आरोपित दीपू उर्फ दीपक पुत्र दिनेश त्यागी निवासी दूबरा को मामले में दोषी करार देते हुए दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही मुल्जिम को दस हजार रुपए के अर्थ दंड से दण्डित किया है।