नई दिल्ली।जम्मू-कश्मीर ( jammu kashmir ) को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला आर्टिकल 370 ( Article 370 ) और आर्टिकल 35ए ( Artical 35A ) हटा दिया गया है। लेकिन इसके हटाए जाने के खिलाफ बयान देना दो पूर्व मुख्यमंत्रियों पर भारी पड़ गया है। पीडपी नेता महबूबा मुफ्ती ( pdp leader mehbooba mufti ) और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ( Omar Abdullah ) के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है।
बिहार में देशद्रोह दोनों नेताओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। ये मुकदमे मुजफ्फरपुर और बेतिया के कोर्ट में दर्ज किए गए हैं। मुजफ्फरपुर में दर्ज मुकदमे में बिहार के मंत्री श्याम रजक को भी आरोपी बनाया गया है।
खास बात यह है कि इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेजा गया और उन्होंने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके बाद सरकार ने आर्टिकिल 370 और 35ए को हटा दिया। साथ ही जम्मू-कश्मीर को दिल्ली की तर्ज पर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाते हुए लद्दाख को उससे अलग कर दिया।
केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ जमकर विरोध शुरू हो गया। नेताओं की ओर से बयानबाजी भी शुरू हो गई। इन्हीं बयानबाजी में पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने भी बड़ा बयान दे डाला।
17 अगस्त को होगी सुनवाई बिहार के मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती समेत अन्य के खिलाफ परिवाद दायर किया गया है। ये परिवाद अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने दायर किया है। इस मामले पर 17 अगस्त को कोर्ट की ओर से सुनवाई की जाएगी।
इन पर दायर की गई परिवाद ओझा ने पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती के साथ पीडीपी सांसद नजीर अहमद लवाय, सांसद मोहम्मद फैयाज, नेशनल कांग्रेस के उपाध्यक्ष व जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पूर्व अटर्नी जेनरल सोली सोराबजी व बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक को आरोपित किया है।
साथ ही उनके बयान को असंवैधानिक और देशद्रोह का मामला बताया है। बेतिया में भी मुकदमा मुजफ्फरनगर के साथ बेतिया में भी महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के खिलाफ परिवाद दायर किया गया है।
दोनों पर राष्ट्रीय एकता, अखंडता व लोक शांति भंग करने के आरोप हैं। परिवादी नगर थाने के बसवरिया निवासी अधिवक्ता मुराद अली ने कई राजनेताओं को भी लपेटा है। इसके लिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रकाशित-प्रसारित खबरों को साक्ष्य बनाया गया है।
ये दिए कारण महबूबा और उमर के खिलाफ दायर परिवाद में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 का विरोध भारत में विधि की ओर से स्थापित सरकार के प्रति घृणा और अवमानना पैदा करने वाला है।
यह विरोध धर्म, मूलवंश, जन्म स्थान, निवास स्थान, भाषा आदि के आधार पर भारतीयों और जम्मू कश्मीर वासियों के बीच शत्रुता बढ़ाने वाला है। यहां अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी।
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