पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शेल्टर होम से फरार होने के लिए लड़कियों ने शेल्टर होम के दूसरे तल से दुपट्टों से लटककर भागने का तरीका अपनाया। दोपट्टे के सहारे जिस तरफ से लड़कियां भागी हैं वो स्कूल का अंदरूनी हिस्सा है। यानी कि शेल्टर होम से निकलने के बाद भी लड़कियां स्कूल कैम्पस में ही थीं। उसके बाद वो स्कूल परिसर से फरार हुईं। शेल्टर होम से फरार सभी चारों लड़किंयां नाबालिग हैं। चार में से तीन पश्चिम बंगाल तो एक बिहार के अररिया जिले की रहने वाली है।
पटना स्थिति इस शेल्टर होम का संचालन मशाल नाम का एनजीओ करता है जिसे समाज कल्याण विभाग से मान्यता मिली हुई है। इस घटना के बाद शेल्टर होम को लेकर ये सवाल फिर से खड़ा हो गया है कि आखिर बिहार में शेल्टर होम किसके भरोसे चल रहे हैं। कोतवाली डीएसपी राकेश कुमार ये दावा कर रहे हैं कि इस मामले में अगर शेल्टर होम संचालकों की लापरवाही सामने आएगी तो उनपर भी कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि इस मामले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।