कई तरह से लड़कियों को किया जाता था प्रताड़ित ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयान में दस साल की एक पीड़िता ने कहा कि सूरज के ढलते ही बालिका गृह की लड़कियों के बीच दहशत फैल जाती थी। उनकी हर रातें आतंक की तरह बीतती थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेडिकल जांच में साबित हुआ है कि गर्भवती हुई अधिकतर लड़कियों की उम्र सात से 14 वर्ष के बीच है। बालिका गृह की 42 लड़कियों की जांच में 34 के साथ रेप की पुष्टि हुई है। स्पेशल पॉक्सो कोर्ट के सामने दिए गए बयान में लड़कियों ने बताया कि उन्हें बुरी तरह पीटा जाता था, भूखा रखा जाता था, ड्रग्स के इंजेक्शन दिए जाते थे और तकरीबन हर रात उनका रेप किया जाता था।
रात में ही खाते ही लड़कियों को आ जाती थी नींद और सुबह ऐसा होता था शरीर का हाल रक्सौल की रहने वाली एक पीड़िता ने बिहार राज्य महिला आयोग की टीम को बताया कि खाना खाते ही उन्हें गहरी नींद सताने लगती थी। कुछ मिनट बाद वे बेसुध हो जाती थीं। सुबह जब आंख खुलती थी तो उनकी बॉडी में काफी दर्द होता रहता था। इतना ही नहीं जब कभी वह पहले से रह रहीं लड़कियों से शिकायत करतीं तो वे मुंह फेरकर चली जाती थीं। संचालक या प्रबंधन कोई उनकी मदद नहीं करता था। कहा यह भी जा रहा है कि बालिका आश्रय गृह से मुक्त कराकर मोकामा के नजारत अस्पताल में लाई गईं सभी 31 लड़कियां यौन शोषण से बचने के लिए आत्महत्या का प्रयास कर चुकी हैं। किसी ने शीशे से हाथ की नस काटने की कोशिश की थी तो किसी ने ब्लेड से खुद पर वार किया। पीड़ितों के द्वारा इस खुलासे के बाद से हड़कंप सा मच गया है और काफी दहशत भी फैल रहा है।