इस तरह टल सकती थी दिल्ली के जाफराबाद में हुई हिंसा और बच सकती थी हेड कॉन्सटेबल की जान ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल को गोली मारी गई थी। उनकी मौत पत्थर लगने से नहीं हुई थी। ऑटोप्सी में यह कंफर्म हो गया है कि रतन लाल के शरीर में एक गोली धंसी हुई थी। यह गोली उनके बाएं कंधे से घुसी और दाहिने कंधे तक गई। ऑटोप्सी के दौरान गोली को हटा दिया गया है।
ऑटोप्सी रिपोर्ट आने के साथ ही हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की मौत को लेकर छाईं अटकलों पर भी विराम लग गया है और यह स्पष्ट हो गया है कि उनकी मौत की वजह गोली लगना ही थी।
नई पुलिस लाइन्स में श्रद्धांजलि दी गई इससे पहले मंगलवार को राजधानी दिल्ली में शहीद रतन लाल को श्रद्धांजलि दी गई। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल, दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने नई पुलिस लाइन्स में उन्हें श्रद्धांजलि दी। नई पुलिस लाइन्स में शहीद रतन लाल के पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनकी शहादत को याद किया। दिल्ली पुलिस के जवानों ने उन्हें सलामी दी।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने कहा परेशानी है कि असहमति को राष्ट्र-विरोधी माना जा रहा है, जो गलत है 1998 में हुए थे दिल्ली पुलिस में भर्ती गौरतलब है कि सोमवार को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दयालपुर थाना क्षेत्र में उपद्रवियों की भीड़ ने उन्हें घेर कर मार डाला। रतन लाल मूलत: राजस्थान के सीकर जिले के फतेहपुर तिहावली गांव के रहने वाले थे। वह सन 1998 में दिल्ली पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। साल 2004 में जयपुर की रहने वाली पूनम से उनका विवाह हुआ था।
घटना की खबर जैसे ही दिल्ली के बुराड़ी गांव की अमृत विहार कॉलोनी स्थित रतन लाल के मकान पर पहुंची, तो पत्नी बेहोश हो गईं। बच्चे बिलख कर रोने लगे। बुराड़ी गांव में कोहराम मच गया। रतन लाल के रिश्तेदारों को खबर दे दी गई। बेंगलुरू में रह रहा रतन लाल का छोटा भाई मनोज दिल्ली के लिए सोमवार शाम को रवाना हो गया।
एसीपी के रीडर थे रतन रतन लाल के छोटे भाई दिनेश ने बताया, “रतन लाल गोकुलपुरी के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के रीडर थे। उनका तो थाने-चौकी की पुलिस से कोई लेना-देना ही नहीं था। वो तो एसीपी साहब मौके पर गए, तो सम्मान में रतन लाल भी उनके साथ चला गया। भीड़ ने उसे घेर लिया और मार डाला।”
उन्होंने आगे कहा, “आज तक हमनें कभी अपने भाई में कोई पुलिस वालों जैसी हरकत नहीं देखी।”