मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बोकारो जिने के बिरटांड गांव के रहने वाले जयंत कुमार के पिता अमित कुमार का कहना है कि जयंत को क्रिकेट की समझ तब से ही आने लगी थी जब वह 9 माह का था। जब जयंत 9 महीने का था तो उसने मोबाइल पर विराट कोहली का बैटिंग करते हुए वीडियो देखा था, तब जयंत ने भी बैट लेने की जिद की थी। उसके पिता ने बैट दिला दिया। इसके बाद जयंत घर के सामने ही खुले मैदान में बैटिंग करने लगा।
रिपोर्ट के अनुसार, जयंत कुमार का कहना है कि जब जयंत पैदा हुआ था तो दोनों पैरों से लाचार था। उसका ईलाज कराया गया और कई महीनों तक उसके पैरों में प्लास्टर चढ़ा रहा। हालांकि धीरे-धीरे उसके पैर ठीक हो गए, लेकिन इस दौरान भी जयंत बॉल के पीछे जमीन में घिसटते हुए चलते रहता था। जयंत के माता—पिता क्रिकेट के प्रति उसके जुनून को देखकर काफी खुश है।
बच्चा जब बोलना शुरू करता है तो मां या पापा बोलता है लेकिन जयंत की मां का कहना है कि जब जयंत ने पहली बार अपनी जुबान से कुछ बोला तो बॉल ही बोला। पैरों में प्लास्टर चढ़े होने के बाद भी वह बॉल को पकड़ने की कोशिश करता था। मां भी चाहती है कि उसका बेटा क्रिकेट में नाम रोशन करे। वहीं जयंत भी अपनी लड़खड़ाती हुई जुबान से बड़े होकर विराट कोहली जैसा बनने की बात करता है।