दरअसल, 2007 में टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर थी। दोनों टीमों के बीच केपटाउन में तीसरा टेस्ट खेला जा रहा था। इस मैच में भारत की दूसरी पारी में वसीम जाफर और वीरेंद्र सहवाग के विकेट जल्दी गिर गए थे। इसके बाद अगले बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर थे, तीसरे दिन क्षेत्ररक्षण के दौरान मैदान से बाहर चले गए थे। इस वजह से सचिन सुबह 10 बजकर 48 मिनट से पहले बल्लेबाजी नहीं कर सकते थे। सचिन के बाद में भारते अगले बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण थे, जो कि शावर ले रहे थे। ऐसे में सौरव गांगुली को क्रीज पर पहुंचने में देर हो गई।
गांगुली को स्ट्राइक लेने में लगे 6 मिनट से ज्यादा
सौरव गांगुली को जब पता चला कि वीवीएस लक्ष्मण भी तैयार नहीं हैं तो वह आनन-फानन में ड्रेसिंग रूम पहुंचे और तुरंत तैयार होकर क्रीज पर आए। गांगुली को इस दौरान 3 मिनट से भी ज्यादा देर हो गई और स्ट्राइक लेने में उन्हें 6 मिनट से ज्यादा का समय लग गया। अब सवाल ये है कि जब स्ट्राइक दो मिनट के भीतर लेनी होती है तो अंपायर ने गांगुली को टाइम आउट क्यों नहीं दिया?
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ग्रीम स्मिथ ने दिखाई खेल भावना
भारत के खिलाफ उस मैच में साउथ अफ्रीका की कप्तानी ग्रीम स्मिथ के हाथों में थी। ग्रेम स्मिथ को यह भी पता था कि गांगुली देरी से मैदान पर पहुंचे हैं। लेकिन, उन्होंने खेल भावना का परिचय दिया और अंपायर से टाइम आउट की अपील नहीं की। इस कारण अंपायर ने गांगुली को आउट नहीं दिया। अगर उस दौरान ग्रीम स्मिथ खेल भावना नहीं दिखाते तो सौरव गांगुली अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में टाइम आउट होने वाले पहले खिलाड़ी होते।