पिता के कहने पर बनीं क्रिकेटर
बता दें कि पार्श्वी के पिता, चाचा और दादा भी क्रिकेटर रहे थे। ऐसे में उनकी रगों में भी क्रिकेटर खून में था, लेकिन उनका स्कूल के दिनों में मन स्केटिंग में अधिक लगता था। यूं कह सकते हैं कि स्केटिंग ही उनका पहला प्यार था। पार्श्वी ने स्केटिंग में उत्तर प्रदेश के अंडर-14 टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल भी जीता, लेकिन उनके पिता चाहते थे कि बेटी भी क्रिकेटर बने। पिता के कहने पर वह स्केटिंग छोड़ क्रिकेट में आ गईं।
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चोटिल होने के बावजूद नहीं छोड़ा मैदान
पार्श्वी ने पिता के कहने पर एक क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन की और क्रिकेट की बारीकियां सीखने लगीं। जहां उन्हें लेग स्पिन गेंदबाजी करना काफी रास आया और महज 13 साल की आयु में उत्तर प्रदेश के लिए पहला मैच खेला। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पहले मैच में फील्डिंग के दौरान वह चोटिल हो गईं थी। कोच ने कहा कि अगर वह फिट नहीं हैं तो आराम कर सकती हैं। पार्श्वी के होठों पर सूजन थी, लेकिन कुछ देर बाद ही वह मैदान में उतर आईं। उन्होंने असम के खिलाफ 3 विकेट झटके।
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