दरअसल, 6 नवंबर को नई दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में एंजेलो मैथ्यूज सोमवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ‘टाइम आउट’ होने वाले पहले क्रिकेटर बन गए। उन्हें गार्ड लेने में देरी का सामना करना पड़ा, क्योंकि उनके हेलमेट का पट्टा टूट गया था और मैथ्यूज ने प्रतिस्थापन हेलमेट के लिए डगआउट को संकेत दिया।
वहीं, बांग्लादेश के कप्तान शाकिब अल हसन ने ‘टाइम-आउट’ की अपील कर दी। जिसके बाद ऑन-फील्ड अंपायरों ने मैथ्यूज को आउट घोषित कर दिया। इसके बाद टाइम आउट को लेकर क्रिकेट के दिग्गजों में बहस छिड़ गई।
क्या कहता है नियम?
एमसीसी नियम 40.1.1 कहता है कि विकेट गिरने या बल्लेबाज के रिटायर होने के बाद आने वाले दूसरे बल्लेबाज को 3 मिनट के भीतर अगली गेंद प्राप्त करने के लिए तैयार रहना चाहिए। यदि यह आवश्यकता पूरी नहीं होती है, तो आने वाला बल्लेबाज टाइम आउट हो जाएगा। लेकिन, विश्व कप खेलने की परिस्थितियों के कारण प्रासंगिक समय तीन मिनट से दो मिनट हो गया।
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एमसीसी ने जारी किया ये बयान
एमसीसी ने बयान जारी कर कहा है कि अगर अंपायरों को दो मिनट के भीतर समस्या के संबंध में सूचित किया गया होता तो टाइम आउट होने से बचा जा सकता था। जब हेलमेट टूटा तो ऐसा प्रतीत होता है कि मैथ्यूज ने अंपायरों से परामर्श नहीं किया, जो एक खिलाड़ी से नए उपकरण मांगते समय करने की अपेक्षा की जाती है। उन्होंने ड्रेसिंग रूम को रिप्लेसमेंट के लिए सिर्फ इशारा किया। अगर उसने अंपायरों को बताया होता कि क्या हुआ था और इसे सुलझाने के लिए समय मांगा होता, तो शायद वे उसे हेलमेट बदलने की इजाजत दे देते। इस तरह टाइम आउट होने की कोई भी संभावना खत्म हो जाती।