बीसीसीआई द्वारा शनिवार को लागू की गई नई रिटेंशन पॉलिसी में विदेशी खिलाड़ियों को ध्यान में रखते हुए कई अहम फैसले लिए गए हैं। जो भी ओवरसीज खिलाड़ी आईपीएल का हिस्सा होगा वह इन नियमों से बंधा हुआ होगा। विदेशी खिलाड़ियों से जुड़ा हुआ एक नियम खासकर सुर्खियां बटोर रहा है। इस नियम को तोड़ने पर ओवरसीज खिलाड़ी पर दो साल का बैन लग सकता है। इसके तहत कोई विदेशी खिलाड़ी एक नीलामी में बिकने के बाद लीग से अपना नाम वापस लेता है तो उसको अगले दो सीजन के लिए बैन कर दिया जाएगा।
जाहिर है ये फैसला फ्रेंचाइजी के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। जब एक टीम किसी विदेशी खिलाडी को चुनती है तो अपनी रणनीति उसी के हिसाब से बनाती है। लेकिन जब वह खिलाडी अंतिम क्षणों में अपना नाम वापस ले लेता है तो उस टीम का संतुलन और रणनीति बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं। कई बार खिलाडी वर्कलोड के चलते अपना नाम वापस ले लेते हैं तो कई बार उनके न खेलने के कारण निजी भी होते हैं। अब ये खिलाड़ी ऐसा करेंगे तो दो सीजन का बैन झेलना होगा।
यह नियम तय करता है कि आईपीएल के प्रति गंभीर और अपनी टीम के प्रति प्रतिबद्ध ओवरसीज खिलाडी ही नीलामी में अपना नाम देंगे। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि कुछ विदेशी खिलाड़ी दो साल के बैन से बचने के लिए अपना नाम नहीं भी देंगे। यानी अब मार्क वुड, गट एटिंकसन, जेसन रॉय जैसे खिलाड़ी काफी सोच समझकर आईपीएल में शिरकत करेंगे। या तो ये खिलाड़ी आईपीएल में हिस्सा नहीं लेंगे या फिर सीजन में खेलने के लिए उपलब्ध रहेंगे। हां, अगर खिलाड़ी को चोट लग जाती है और वह खेलने के लिए उपलब्ध नहीं होता, तो उसके लिए यह नियम लागू नहीं होगा। हालांकि इस चोट को भी ओवरसीज खिलाड़ी के संबंधित घरेलू क्रिकेट बोर्ड को सत्यापित करना होगा।
विदेशी खिलाड़ियों की भागीदारी पर पड़ेगा प्रभाव?
इसके अलावा एक और दूसरा अहम फैसला है जो आईपीएल में विदेशी खिलाड़ियों की भागीदारी पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। अब इन खिलाड़ियों को आईपीएल के मेगा ऑक्शन में पंजीकरण कराना ही होगा। यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो अगले सीजन में होने वाले मिनी ऑक्शन में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। अभी तक मिनी ऑक्शन में विदेशी खिलाड़ियों का ही बोलबाला देखने को मिलता था। मिशेल स्टार्क और पैट कमिंस जैसे उदाहरण सबके सामने हैं जिन्होंने नीलामी में बिकने की राशि के मामले में नया रिकॉर्ड बनाया था। आईपीएल के मेगा ऑक्शन में टीमों को कई खिलाड़ियों पर मोटा पैसा खर्च करना होता है। इस नीलामी में वह अपनी कोर टीम को बनाते हैं। लेकिन मिनी ऑक्शन सिर्फ चुनिंदा खिलाड़ियों को लेने के बारे में होता है और अधिकतर इसी छोटी नीलामी में ही खिलाड़ियों के अविश्वसनीय रकम पर बिकने के रिकॉर्ड बनते हैं। पिछली बार मिशेल स्टार्क सिर्फ मिनी ऑक्शन में ही आए थे। अब वह ऐसा कर नहीं कर सकेंगे। ऐसे में स्टार्क जैसे कम आईपीएल खेलने वाले खिलाड़ियों की भागीदारी आगे और भी कम हो सकती है। या फिर यह खिलाड़ी पूरी योजना के लिए कैश रिच लीग में हिस्सेदारी करते दिखाई देंगे।
इन नियमों के अलावा विदेशी खिलाड़ियों को सबसे बड़ा झटका लगने जा रहे है अधिकतम फीस तय होने के नियम से। आईपीएल ने छोटी नीलामी में विदेशी खिलाड़ियों के लिए अधिकतम कीमत तय करने का फैसला किया है। यह नियम कहता है कि किसी भी विदेशी खिलाड़ी के लिए इस नीलामी में अधिकतम कीमत 18 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं होगी। विदेशी खिलाड़ी के छोटी नीलामी में बिकने की कीमत को दो तरह से तय किया जाएगा- सबसे ज्यादा रिटेन रखी गई कीमत और बड़ी नीलामी में सबसे ज्यादा बिके खिलाड़ी की कीमत। इन दोनों में से जो भी कम हो, खिलाड़ी को वही कीमत मिलेगी।
विदेशी खिलाड़ी इससे होंगे निराश
यानी कोई खिलाड़ी 18 करोड़ रुपए कीमत में रिटेन हुआ है लेकिन बड़ी नीलामी में सबसे महंगा खिलाड़ी 15 करोड़ रुपए में बिका है तो ओवरसीज खिलाड़ी को छोटी नीलामी में 15 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं मिलेंगे। हां, फ्रेंचाइजी चाहे तो किसी भी ओवरसीज खिलाड़ी के ऊपर कितनी भी बड़ी बोली लगा सकती है। लेकिन उस बोली के अधिकतम 18 करोड़ रुपए ही खिलाड़ी को मिलेंगे। बाकी रकम बीसीसीआई के पास चली जाएगी जो खिलाड़ियों के कल्याण के लिए खर्च होगी। जाहिर है यह सब नियम ओवरसीज खिलाड़ियों की आईपीएल में हिस्सेदारी को काफी प्रभावित करेंगे।