2020/21 में चार मैचों की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराने के बाद टेस्ट में बल्लेबाजी औसत 37.0 से घटकर 28.8 हो गया है। इसके अलावा, 2020/21 सीरीज तक ऑस्ट्रेलिया में प्रति विकेट औसत गेंदें 66.6 थीं और उसके बाद यह भी घटकर 52 हो गई हैं।
भारत की यादगार श्रृंखला जीत से पहले ऑस्ट्रेलिया में प्रति टेस्ट औसत ओवर 347.1 था, और तब से यह घटकर 279.4 हो गया है। स्मिथ ने सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड से बात करते हुए अपना आकलन दिया, “विकेट भी शायद तब बेहतर थे, इसलिए आपको आउट करने के लिए अच्छी गेंदें कम थीं। इसमें से बहुत कुछ बल्लेबाजों की गलती थी और उस समय मुझे लगा कि मैं बहुत ज्यादा गलतियां नहीं कर रहा हूंं। मुझे लगता है कि मैंने पहले टेस्ट से पहले कहा था, वे मुझे आउट नहीं कर पाएंगे और यह सही साबित हुआ। शायद मुझे यह बात बार-बार कहने की जरूरत है और इस पर टिके रहने की कोशिश करनी चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “2000 के दशक की शुरुआत से लेकर 2018 के बीच विकेट बहुत अच्छे थे। ऑस्ट्रेलिया में वे गेंदबाजों से ज्यादा बल्लेबाजों के अनुकूल थे, और अब यह उल्टा हो गया है। विकेट और गेंदों पर घास होने के कारण, बल्लेबाज के लिए यह निश्चित रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण स्थिति है।”
दाएं हाथ के ठोस बल्लेबाज ने आगे कहा कि अगर आप अच्छा खेलते हैं तो आप रन बना सकते हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह असंभव है लेकिन मुझे लगा कि उनके लिए मुझे आउट करने के लिए एक बहुत अच्छी गेंद फेंकना मुश्किल था। जबकि अब आपको लगता है कि हर बार एक ऐसी गेंद आती है जिस पर आपका नाम लिखा होता है और आप इसके बारे में कुछ नहीं कर सकते।
अनुभवी बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा ने भी कहा कि पिचों और कूकाबुरा की प्रकृति में बदलाव का मतलब है कि गेंदबाजों को टेस्ट और प्रथम श्रेणी के घरेलू खेलों में लाल गेंद को स्विंग करने के लिए ज्यादा प्रयास करने की जरूरत नहीं है।