शुरुआत में सीओए में थे चार सदस्य
बीसीसीआई सूत्रों ने बताया कि गुहा ने बीसीसीआई को एक ईमेल के जरिये इस संबंध में जानकारी दी है। बता दें कि सीओए जब बनी थी तो इसमें विनोद राय, डायना एडुल्जी के साथ इतिहासकार लेखक रामचंद्र गुहा और बैंककर्मी विक्रम लिमये भी इसमें शामिल थे। इन दोनों ने कुछ समय बाद ये दोनों सीओए से अलग हो गए थे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2017 में इन चारों को सीओए में शामिल किया था।
बता दें कि नियुक्ति के महज चार महीने बाद रामचंद्र गुहा ने सीओए अध्यक्ष विनोद राय से मतभेद होने के कारण पद छोड़ दिया था। अपना इस्तीफा देते हुए उन्होंने हितों के टकराव के कई मामले उठाए थे। उनका कहना था कि इन मुद्दों पर उनकी राय को दरकिनार कर दिया गया था। इसके एक महीने बाद ही लिमये ने भी सीओए छोड़ दिया था। गुहा ने ईमेल के जरिये बीसीसीआई को जानकारी दी है कि वह सीओए में दीं गई अपनी सेवाओं के बदले में बोर्ड से कोई पैसा नहीं लेंगे।
सीओए सदस्यों को इतना मिलना है वेतन
बता दें कि प्रशासकों की समिति (सीओए) के सभी सदस्यों को 2017 के लिए प्रतिमाह दस लाख, 2018 के लिए 11 लाख और 2019 के लिए 12 लाख रुपए प्रतिमाह की दर से वेतन मिलना है। इसके हिसाब से एडुल्जी और राय दोनों को 3.5 करोड़ रुपए मिलेंगे, जबकि विक्रम लिमये, रामचंद्र गुहा और रवि थोडगे को उनके कार्यकाल के हिसाब से भुगतान दिया जाएगा।
बीसीसीआई सूत्र के अनुसार, हालांकि विक्रम लिमये ने अभी कोई सूचना नहीं दी है, लेकिन मिली जानकारी के अनुसार, वह भी अपना वेतन नहीं लेंगे। उन्हें बीसीसीआई से 50.5 लाख रुपए की रकम मिलनी थी। ऐसी संभावना है कि गुहा की तरह दो-चार दिनों में वह भी आधिकारिक रूप से अपने फैसले की सूचना बीसीसीआई को दे देंगे।