स्पोर्ट्सस्टार के लिए लिखे कॉलम में गावस्कर ने कानपुर टेस्ट को लेकर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारतीय टीम आजकल जिस नई अप्रोच के साथ मैदान में उतरती है, वो कप्तान रोहित शर्मा की देन है। गावस्कर ने कहा, ‘भारत की नई आक्रामक बल्लेबाजी के लिए गौतम गंभीर को श्रेय देना अनुचित है। वह लंबे समय से कोचिंग नहीं कर रहे हैं और उन्होंने खुद भी कभी उस शैली में बल्लेबाजी नहीं की है।’
गावस्कर ने जोर देकर कहा, ‘इसका श्रेय पूरी तरह से रोहित शर्मा को जाना चाहिए। गंभीर को कोचिंग करते हुए अभी कुछ महीने ही हुए हैं, इसलिए इस तरह की बल्लेबाजी के लिए उन्हें श्रेय देने का मतलब है कि आप जबरदस्त तरीके से उनके तलवे चाट रहे हैं। गंभीर ने खुद शायद ही कभी इस तरह से बल्लेबाजी की हो, जैसा मैकुलम किया करते थे। अगर कोई श्रेय दिया जाना चाहिए, तो वह सिर्फ रोहित को है अन्य किसी और को नहीं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा लग रहा था कि कानपुर टेस्ट का कोई रिजल्ट नहीं निकलेगा। लेकिन रोहित शर्मा ने फिर से रास्ता दिखाया। पहली दो गेंदों पर उन्होंने दो छक्के लगाए और यहां से भारतीय पारी ने गति पकड़ ली। युवा यशस्वी जायसवाल ने भी पहले ओवर में 3 चौके लगाए, लेकिन ये जोखिम भरे शॉट नहीं थे। दूसरी तरफ, कप्तान ने रिस्क लिया। पहली गेंद पर वो क्रीज से बाहर निकले और लॉन्ग ऑन के ऊपर से गगनचुंबी छक्का लगाया और जब गेंदबाज ने अगली गेंद छोटी फेंकी तो रोहित ने इसे स्क्वेयर लेग के ऊपर दूसरे छक्के के लिए पुल कर दिया।’
गावस्कर ने अपने कॉलम में एक और बात का जिक्र किया। उन्होंने लिखा कि भारतीय टीम की पहली पारी ने मैच सेट किया और जीत के बाद टीम को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के फाइनल में पहुंचने के लिए जरूरी पॉइंट्स मिले। टीम को पता था कि इस टेस्ट को जीतना कितना जरूरी है। गावस्कर सवाल उठाते हैं कि अगर डबल्यूटीसी के लिए जरूरी पॉइंट्स की दरकार ना होती तो क्या प्लेयर्स इसी अप्रोच के साथ खेलते? वो शायद अपने पर्सनल रिकॉर्ड्स के लिए खेलते। इसके लिए आईसीसी को भी क्रेडिट दिया जाना चाहिए कि उसने डबल्यूटीसी लाकर टेस्ट क्रिकेट को एक नई जान दी है।