पिता के निधन के बाद कुणाल पंड्या बड़ौदा टीम के बायो बबल से बाहर निकल गए हैं। दरअसल कुणाल बड़ौदा टीम की कप्तानी कर रहे थे। लेकिन पिता के निधन के बाद वे सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के बायो बबल को छोड़कर घर वापस लौट गए हैं।
वॉट्सऐप यूजर्स के लिए आई अच्छी खबर, हर तरफ विरोध के बाद कंपनी ने उठाया बड़ा कदम, अब बंद नहीं होगा आपका अकाउंट बेटों के करियर में अहम योगदान हार्दिक और क्रुणाल को क्रिकेटर बनाने में उनके पिता का अहम योगदान रहा। उन्होंने आर्थिक स्थिति खराब रहने के बावजूद पैसे जुटाकर अपने दोनों बेटों को किरण मोरे क्रिकेट अकादमी में भेजा था। खुद हार्दिक भी अपने पिता के योगदान को कई बार स्वीकारते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट कर चुके हैं।
हिमांशु सूरत में छोटा सा कार फाइनेंस बिजनेस चलाते थे, लेकिन अपने बच्चों को क्रिकेटर बनाने के लिए उन्होंने बड़ौदा बसने का फैसला किया। दरअसल बड़ौदा में सूरत के मुकाबले क्रिकेट की अच्छी सुविधाएं थीं, यही वजह थी कि हिमांशु पंड्या ने अपना कारोबार तक बंद कर दिया था।
किरण मोरे के मैनेजर ने की तारीफ
हार्दिक और कुणाल के पिता हिमांशु पंड्या ने एक साक्षात्कार में बताया था कि उनके दोनों बच्चों ने क्रिकेटर को लेकर बहुत मेहनत की है। उन्होंने बताया था कि जब मैं सूरत में था, क्रुणाल 6 साल का था, मैं उसे बॉलिंग कराता था तो देखकर लगा कि ये अच्छा खिलाड़ी बन सकता है।
ऐसे शुरू हुआ सफर
उस दौरान सूरत के रांदेड़ जिमखाना में प्रैक्टिस करते थे। एक दिन किरण मोरे के मैनेजर ने कुणाल को बैटिंग करते देखा। उसने कहा कि कुणाल को बड़ौदा लेकर आएं उनका भविष्य अच्छा है। बस 15 दिन बाद मैं उन्हें बड़ौदा ले गया और वहीं से क्रिकेट का सफर शुरू हुआ।
अब और सख्त हुए ट्रैफिक नियम, उल्लंघन करने पर लगेगा तगड़ा जुर्माना, जानिए अब क्या हुए बड़े बदलाव आपको बता दें कि कुणाल का प्रदर्शन अबतक इस टूर्नामेंट में काफी शानदार रहा था। उन्होंने भारत की घरेलू टी-20 लीग के पहले मैच में ही 76 रनों की शानदार पारी खेली थी।
हालांकि, उनके भाई हार्दिक पांड्या सैयद मुश्ताक अली टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले रहे हैं और वह इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली लिमिटेड ओवर सीरीज के लिए तैयारी कर रहे हैं।