Common Bowling Injuries से बार-बार चोटिल होते हैं Fast Bowler
Fast Bowler बार-बार Common Bowling Injuries के चलते चोटिल होते हैं। उन्हें सर्जरी करानी पड़ती है। इसलिए तेज गेंदबाज का करियर बल्लेबाजों की तरह लंबा नहीं होता।
नई दिल्ली। तेज गेंदबाज को होने वाली सामान्य बॉलिंग इंजरी कौन-कौन सी होती हैं? क्या फास्ट बॉलिंग एक्शन इसकी वजह हैं? विश्व कप क्रिकेट 2019 में कई तेज गेंदबाज चोटिल होने की वजह से मैच नहीं खेल पाए थे। भुवनेश्वर कुमार और लुंगी नगिदी दो-तीन मैचों के लिए बाहर हुए, तो डेल स्टेन विश्व कप से ही बाहर हो गए थे। अब उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास भी ले लिया है। चोटिल खिलाड़ियों में आमतौर पर तेज गेंदबाजों की संख्या ज्यादा होती है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि तेज गेंदबाज चोटिल क्यों होते हैं?
इन्सान का शरीर तेज गेंदबाजी के अनुकूल नहीं है तेज गेंदबाजी का एक्शन ( Fast Bowling Action ) कुछ ऐसा होता है, जिसके लिए प्राकृतिक रूप से मानव शरीर अनुकूल नहीं है। तेज गेंदबाजी मानव शरीर पर स्ट्रेस डालती है। कोई भी गेंदबाज अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करके ही गेंद को तेज फेंक सकता है। तेज गेंदबाजी करने का तरीका भी ऐसा होता है, जो शरीर के विभिन्न अंगों पर दुष्प्रभाव डालता है। गलत तरीके से गेंदबाजी करने या तेज गेंदबाजी के ओवरलोड से रोटेटर कफ इंजरी हो सकती है।
तेज गेंदबाजी से शरीर के कई अंगों पर पड़ता है असर तेज गेंदबाज 10 से 30 कदम की दूसरी से दौड़कर जंप लेता है और बॉलिंग क्रीज पर लैंड करता है। फिर बॉलिंग हैंड पूरी ताकत से घुमाकर बल्लेबाज की तरफ गेंद को फेंकता है। इस प्रक्रिया में तेज गेंदबाज के कंधे, गर्दन, पीठ, जांघों, घुटने और एड़ी पर बहुत ज्यादा प्रेशर पड़ता है।
सामान्य बॉलिंग इंजरी (Common Bowling Injuries ) हैं: हम एक उदाहरण से आपको समझाते हैं – जब पांच फुट 10 इंच के कद और 70 किलो वजन वाला तेज गेंदबाज 20 कदम दूर से दोड़कर स्टंप्स के पास जंप लेता है और बॉलिंग क्रीज पर पिछले पैर के पंजे पर लैंड करता है, तो उसके शरीर के वजन का पांच गुना प्रेशर उसके घुटने, पंजे और एड़ी पर पड़ता है। तेज गेंदबाज एक ओवर में छह बार और वनडे मैच में करीब 60 बार (10 ओवर) इस प्रक्रिया को दोहराता है।
इसके साथ ही वह बॉल रिलीज प्वाइंट (यानी वह बिंदु जहां से गेंद बल्लेबाज की तरफ छोड़ी जाती है) को जितना संभव हो सके उतना ऊपर रखने की कोशिश भी करता है। इस पूरी प्रक्रिया को बार-बार दोहराने से उसके शरीर पर कितना स्ट्रेस पड़ता है, इस उदाहरण से आप समझ सकते हैं।
चोटिल होने की प्रमुख वजह विश्व कप में बारिश से प्रभावित मैच में पाकिस्तान के खिलाफ गेंदबाजी करते हुए भुवनेश्वर का पैर बॉलिंग क्रीज पर बने एक छोटे से नमीयुक्त गड्ढे पर पड़ गया था। इससे उनकी हैम्स्ट्रिंग में खिंचाव आ गया। इस मामले में बॉलिंग क्रीज पर बरसात का प्रभाव था। बॉंलिंग क्रीज बिल्कुल ठीक हो, तब भी अगर बॉलर का पैर क्रीज पर सही ढंग से न पड़े, तो टखने के चोटिल होने की आशंका रहती है। बेहतर क्रिकेट बॉलिंग शू से चोटों से कुछ हद तक बचा जा सकता है, मगर गेंदबाज को पूरी तरह से चोटों से दूर रख सकें, ऐसा संभव नहीं है।
अगर तेज गेंदबाज बॉल को गलत तरीके से रिलीज करे, तो कंधा चोटिल हो सकता है। शॉर्ट पिच गेंदे फेंकने या गेंदों की तेजी बढ़ाने की कोशिश में पीठ और कमर में खिंचाव आ सकता है। रोटेटर कफ इंजरी (Rotator Cuff Injury) तेज गेंदबाजों में कंधे के दर्द की एक प्रमुख वजह है।
पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज ( Fast Bowler ) कपिल देव का कहना है कि भारतीय तेज गेंदबाजों को अपनी फिटनेस का खास ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर तेज गेंदबाज बार-बार चोटिल होता है, तो इससे उसके प्रदर्शन पर असर पड़ता है और राष्ट्रीय टीम को भी इसका नुकसान उठाना पड़ता है।
कुल मिलाकर हम कहें कि अगर तेज गेंदबाज ( Fast Bowler ) बल्लेबाजों की तरह ही लंबा क्रिकेट करियर चाहता है, तो उसे सामान्य बॉलिंग इंजरी (Common Bowling Injuries ) से बचने की कोशिश करनी चाहिए और अपनी फिटनेस पर कड़ा परिश्रम करना चाहिए।