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कैंप जॉइन नहीं करने पर बसीथ केरल टीम में, लेकिन संजू बाहर, KCA की गंदी राजनीति के शिकार हुए सैमसन

बसीथ ने न सिर्फ कैंप मिस किया, बल्कि वे शुरुआती 19 मेंबर टीम का हिस्सा भी नहीं थे। इसके बावजूद उन्हें टूर्नामेंट के तीसरे मैच में खेलने की अनुमति दी गई। वहीं, संजू सैमसन ने समय पर अपनी उपलब्धता की जानकारी दी थी, इसके बावजूद उन्हें खेलने की अनुमति नहीं दी गई।

नई दिल्लीJan 19, 2025 / 06:47 pm

Siddharth Rai

Sanju Samson vs Kerala Cricket Association: संजू सैमसन, जो भारतीय क्रिकेट के सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों में से एक हैं, आजकल एक विवाद के घेरे में हैं। इस विवाद ने न सिर्फ उनके करियर की नींव को हिलाकर रख दिया है, बल्कि भारतीय क्रिकेट को भी एक सिद्ध मैच-विजेता से वंचित कर दिया है। केरल क्रिकेट संघ (KCA) ने सैमसन को विजय हजारे ट्रॉफी में खेलने से रोक दिया, जबकि उन्होंने अपनी उपलब्धता ईमेल के माध्यम से पहले ही सूचित कर दी थी। यह हैरान करने वाला फैसला शायद उन्हें चैंपियंस ट्रॉफी टीम में शामिल होने से भी वंचित कर गया।
यह मामला तब शुरू हुआ, जब चोट से उबरने के बाद सैमसन ने केसीए को विजय हजारे ट्रॉफी के लिए अपनी उपलब्धता की जानकारी दी। लेकिन, केसीए ने उनके प्री टूर्नामेंट कैंप में अनुपस्थित रहने को अस्वीकार्य मानते हुए उन्हें टीम में शामिल करने से इनकार कर दिया। केसीए के अध्यक्ष जयेश जॉर्ज ने कहा, “केरल क्रिकेट किसी एक खिलाड़ी पर निर्भर नहीं है।” हालाँकि, यह बयान टीम की सामूहिक शक्ति को दर्शाने के लिए दिया गया था, लेकिन यह साफ तौर पर सैमसन के योगदान और उनकी अहमियत को नज़रअंदाज करने वाला जान पड़ा।
केसीए ने अब्दुल बसीथ को शामिल करने के मामले में भी असमानता दिखाई। बसीथ ने न सिर्फ कैंप मिस किया, बल्कि वे शुरुआती 19 मेंबर टीम का हिस्सा भी नहीं थे। इसके बावजूद उन्हें टूर्नामेंट के तीसरे मैच में खेलने की अनुमति दी गई। वहीं, संजू सैमसन ने समय पर अपनी उपलब्धता की जानकारी दी थी, इसके बावजूद उन्हें खेलने की अनुमति नहीं दी गई। विरोध से घिरा यह फैसला यह दर्शाता है कि नियमों को चुनिंदा रूप से लागू किया गया और इस तरह संजू सैमसन को बाहर करना पहले से तय किया हुआ कदम प्रतीत होता है।
केरल से सांसद शशि थरूर ने भी इस फैसले की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इसे “बदले की भावना से लिया गया” और “केरल क्रिकेट की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने वाला” बताया। थरूर ने कहा, “ऐसे खिलाड़ी को, जिसने अपने खेल से अपनी योग्यता साबित की हो, खेलने का मौका न देना अक्षम्य है।” उनकी यह टिप्पणी देशभर के क्रिकेट फैंस की भावनाओं को व्यक्त करती है।
यह विवाद एक बार फिर से भारतीय टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर के पुराने ट्वीट को याद दिलाता है। वर्ष 2022 में गंभीर ने कहा था, “संजू सैमसन एक मैच-विजेता हैं, जिन्हें उनके योग्य मौके नहीं दिए गए।” यह बात आज और भी प्रासंगिक लगती है। चैंपियंस ट्रॉफी टीम में सैमसन की गैर-मौजूदगी, जिसकी वजह शायद उनकी मैच प्रैक्टिस की कमी है, केसीए के फैसले से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है।
यह गलती ऐसे समय पर हुई है, जब भारतीय टीम के मध्यक्रम पर सवाल उठ रहे हैं। सैमसन, जो दबाव में खेलते हुए रन बनाने, स्ट्राइक रोटेट करने और जरूरत पड़ने पर तेजी से रन जोड़ने की क्षमता रखते हैं, टीम के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हो सकते थे। उनकी गैर-मौजूदगी सिर्फ खिलाड़ी के तौर पर ही नहीं, बल्कि पूरी की पूरी टीम के लिए भी एक बहुत बड़ा नुकसान है।
केसीए के इस फैसले को लेकर फैंस और विशेषज्ञों ने कड़ी आलोचना की है। सैमसन जैसे खिलाड़ी, जिन्होंने लगातार केरल और भारत दोनों के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया है, के साथ इस तरह का व्यवहार बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। यह मामला राज्य संघों की कार्यशैली और उनके खिलाड़ियों के प्रबंधन पर भी बड़े सवाल खड़े करता है।
हालाँकि, सैमसन ने हमेशा अपनी दृढ़ता और संघर्ष के जरिए हर चुनौती का सामना किया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि भारतीय क्रिकेट कब तक एक ऐसे खिलाड़ी को अनदेखा करता रहेगा, जो टीम के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है?
जैसे-जैसे चैंपियंस ट्रॉफी आगे बढ़ेगी, सैमसन की कमी जरूर महसूस की जाएगी। फिलहाल, केसीए का यह फैसला एक चेतावनी है कि कैसे राजनीति और कुप्रबंधन न सिर्फ एक खिलाड़ी के करियर को, बल्कि एक टीम के प्रदर्शन को भी नुकसान पहुँचा सकते हैं।

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