पिछले कुछ सालों से नुकसान में चल रहे इस सरकारी कारखाने में ही मेक इन इंडिया Make In India को बढ़ावा देने की योजना के तहत क्रॉयोजेनिक अपर स्टेज cryogenic upper stage के लिए रुसी Russian मानक वाला स्टनेलेस स्टील कॉइल बनाया गया। संयंत्र में रुसी ग्रेड के आईसीएसएस-1218-321 (12एक्स18एच10टी) ऑस्टेनिटिक स्टेबलाइज स्टेनलेस स्टील stainless steel coil का उत्पादन किया गया। इसका उपयोग इसरो ने क्रॉयोजनिक इंजन के निर्माण में किया है।
आसान नहीं थी राह
अधिकारियों के मुताबिक वैमानिकी (एयरोस्पेस) Aerospace ग्रेड के स्टेनलेस स्टील का निर्माण आसान काम नहीं था। क्रॉयोजेनिक इंजन में इस्तेमाल किए जाने वाले कॉइल के उत्पादन से पहले उसका एक परीक्षण बैच का भी उत्पादन किया गया। इसके लिए इसरो के महेंद्रगिरि स्थिति तरल प्रणोदन केंद्र और संयंत्र के अधिकारियों की टीम ने कई दिनों तक काम किया। पहले संयंत्र के हॉट रोलिंग स्टेकेल मिल में इसरो की ओर से मुहैया कराए गए आईसीएसएस-1218-321 ऑस्टेनिटिक स्टेनलेस स्टील शीट को एक विशेष प्रक्रिया के जरिए पिघला कर 4 मिमी मोटाई का हॉट रोल्ड कॉइल तैयार किया गया और फिर उसे कोल्ड रोल्ड कर 2.3 मिमी की मोटाई वाला बनाया गया, जिसका उपयोग चंद्रयान-2 को लेकर चंद्रमा तक ले कर जाने वाले रॉकेट के क्रॉयोजेनिक इंजन में किया गया है। स्वदेशी क्रॉयोजेनिक इंजन के दोहरी दीवार वाले कक्ष को बनाने के लिए सेलम संयंत्र में बने 321 स्टेनलेस शीटों का उपयोग किया गया है। इस संयंत्र में बने कॉइल से निर्मित शीट का उपयोग कर इसरो पांच और क्रॉयोजेनिक इंजन भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए तैयार कर रहा है।
देश के दूसरे मानव रहित चंद्र अभियान के तहत इसरो ISRO सोमवार तड़के 2.51 बजे श्रीहरिकोटा sriharikota स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंंद्र से करेगा। यह मिशन चंद्रमा Moon Mission के उन क्षेत्रों का अध्ययन करेगा जिसके बारे में इसके पूर्व विभिन्न देशों के भेजे गए मिशनों ने अध्ययन नहीं किया था। गौरतलब है कि 5 जुलाई को केंद्र सरकार ने सेलम ( Tamil Nadu ) स्टील प्लांट सहित तीन इस्पात संयंत्रों के रणनीतिक विनिवेश disinvestment के लिए वैश्विक निविदा Global Tender आमंत्रित की है।