श्याम पांडिया की कहानी महाभारत काल से जुड़ी है। यह गांव ऐतिहासिक व प्राचीन स्थल है। महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद जब पाण्डव अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे, उस समय किसी विद्वान पंडित की आवश्यकता थी। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को महा पंडित श्याम पांडिया को लाने के लिए कहा। ऐसे में खुद महाबलशाली भीम उनको लेने आये, यहां जब उनको जमीदार के रूप में देखा तो उनको शंका हुई कि ये विद्वान तो नही लगते। भीम की शंका दूर करने के लिए श्याम पांडिया ने जो गजब काम किया वह सुनकर आज भी लोग हैरान हो जाते हैं। महाबलशाली भीम की शंका दूर करने के लिए महापंडित श्याम पांडिया ने स्नान कर अपनी धोती हवा में उछाली तो वो बिना किसी सहारे हवा में सूखने लगी और अपने आप समेट कर नीचे भी आ गई। यह देखकर भीम को आश्चर्य हुआ और प्रणाम कर अपने ज्येष्ठ भ्राता का संदेश सुनाकर यज्ञ में उपस्थित होने का निवेदन करते हुए कहा कि आप मेरे साथ चलो ताकि मैं आपको जल्द ही यज्ञ स्थान पर ले चलूं।
कहा जाता है कि महाभारत का युद्ध जब हो रहा था तो श्याम पांडिया भी पाण्डवों के साथ युद्ध लड़ने का मन बनाकर युद्ध भूमि में गए। लेकिन जब उन्हें पता चला कि यहां तो दो भाईयों में लड़ाई हो रही है तो वे दुखी मन से वापिस अपने तपोभूमि आ लौट आए।
इतिहास के मुताबिक, महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद युधिष्ठिर द्वारा अश्वमेघ यज्ञ आरम्भ किया गया, यज्ञ में पूर्णाहूति के समय वीजित पक्ष के सभी योद्धाओं का होना आवश्यक था। चूंकि महाभारत के युद्ध में पाण्डवों की तरफ से युद्ध लड़ने का मन बनाकर वे आए थे लेकिन दो भाइयों में लड़ाई होता देख वे लौट गए। ऐसे में यह माना गया कि वे वीजित पक्ष से थे और अश्वमेघ यज्ञ में उनकी अनुपस्थिति के कारण ही यज्ञ में अग्नि देवता का सपत्निक आना नहीं हो रहा था। चूंकि भगवान श्रीकष्ण को तुरन्त पता चल गया और कहा कि जब तक श्याम पांडिया का यज्ञ स्थल पर प्रवेश नहीं होगा पूर्णाहुति नहीं होगी।
श्याम पांडिया गांव को पर्यटन स्थल में तबदील करने की कवायद जारी है। तहसील के श्याम पांडिया धाम में करीब दो करोड़ की लागत से वनक्षेत्र की जमीन पर बनने वाले पर्यटन स्थल लव-कुश वाटिका के निर्माण को लेकर कवायद शुरू हो गई है।