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Churu History: कभी चूरू की इस हवेली में लगता था न्याय का दरबार

चूरू में भी राय बहादुर सेठ भगवानदास बागला की हवेली में तत्कालीन समय में अदालत लगा करती थी, जहां पर बीकानेर के तत्कालीन शासक आकर लोगों की फरियाद सुनकर फैसला किया करते थे।

चूरूOct 29, 2022 / 11:34 am

manish mishra

Churu History: कभी चूरू की इस हवेली में लगता था न्याय का दरबार

Churu History: कभी चूरू की इस हवेली में लगता था न्याय का दरबार

चूरू. वर्तमान समय में लोगों को न्याय दिलाने के लिए सरकार की ओर से न्याय आपके द्वार, प्रशासन आपके द्वार जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं। ताकि लोगों को न्याय व अटके कामों के लिए शहरों व कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पडे। लेकिन तत्कालीन राजा-महाराजों ने यह व्यवस्था काफी सालों पहले ही शुरू कर दी थी। तत्कालीन शासक समय-समय पर गांव-ढाणियों में पहुंचकर आमजन की फरियादों को सुना करते थे। चूरू में भी राय बहादुर सेठ भगवानदास बागला की हवेली में तत्कालीन समय में अदालत लगा करती थी, जहां पर बीकानेर के तत्कालीन शासक आकर लोगों की फरियाद सुनकर फैसला किया करते थे।

इतिहासविद् प्रो. केसी सोनी ने बताया कि ठाकुर श्याम सिंह के पांच हुए थे, जिनमें तीन छोटी उम्र में ही देवलोक चले गए। शेष दो चैन सिंह व हमीर सिंह में पिता के देहावसन के बाद बिसाऊ राज्य का दो बराबर भागों में बंटवारा हुआ था। हमीर सिंह को विक्रम संवत 1890 को बिसाऊ की गद्दी पर बैठे थे।
हमीर सिंह के पिता के शासनकाल में शेखावाटी ब्रिगेड की स्थापना की गई थी, इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य शेखावाटी तथा व इसके निकटवर्ती क्षेत्रों में होने वाली लूटपाट को रोकने का था। बीकाने व चूरू के शासक शेखावाटी के शासक व शेखावाटी के शासक चूरू व बीदासर के शासकों पर पर लूटपाट का आरोप लगाते थे।

राजाजी के कोठी में लगा था दरबार

इतिहास विद सोनी ने बताया कि आरोप व प्रत्यारोप का निराकरण करने के लिए विक्रम संवत 1891 में तत्कालीन गर्वनर जनरल के एजेंट कर्नल एलविस चूरू आए हुए थे। चूरू के राजाजी की कोठी में इनका दरबार लगा था। बीकानेर राज्य के कई सरदार, सेठ , साहूकार सहित सेठ नंदराम केडिया भी इसमें शामिल हुए थे। चलते हुए दरबार में बिसाऊ के हमीर सिंह भी इसमें शामिल हुए थे।
समय-समय पर दरबार में होती थी जनसुनवाई
सोनी ने बताया कि बीकानेर के तत्कालीन शासक जनसुनवाई व अदालत सेठ भगवानदास बागला की कोठी में लगाया करते थे। उन्होंने बताया कि इस दरबार में चूरू, बीकानेर व गंगानगर के लोग अपनी फरियाद लेकर पहुंचते थे। यहां पर बीकानेर के शासक पक्षों की सुनवाई के बाद में फैसला सुनाया करते थे। उन्होंने बताया कि जब भी शासक का चूरू आना होता था, तब-तब हवेली में समय-समय पर दरबार लगाया जाता था। यहां पर लोग राजा के सामने अपनी समस्याओं व फरियाद को रखा करते थे। इतिहासविद बताते है कि सेठ भगवानदास बागला को आस-पास के क्षेत्र में विशेष सम्मान था। इस हवेली में कई प्रकार के भित्ती चित्र है जो कि लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन हुए हैं।

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