सीएचसी स्तर पर ३७ प्रकार की जांच होनी चाहिए जबकि मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना के तहत वर्तमान में ३५ प्रकार की जांच ही हो रही है। जांच योजना के तहत रेडियोग्राफ र का पद खाली होने से एक्स-रे मशीन व ईसीजी नहीं हो रही है। इसके चलते रोगियों को एक्स-रे व ईसीजी की जांच निजी लैबो में महंगे दाम देकर करवानी पड़ रही है। रोगियों को निशुल्क जांच का लाभ दो वर्षों से नहीं मिल रहा है।
सीएचसी में २१० प्रकार की दवाईयां स्वीकृत हैं जबकि १३० से १४० प्रकार की दवाईयां आ रही हैं। निशुल्क दवा केन्द्र पर पेंटाप्रॉजोल, डोमपेरीडोम कैप्सूल की मांग के अनुसार कई वर्षों से पूर्ति नहीं हो रही है। वहीं खांसी की कफ सीरप व पेरासिटॉमोल तथा डाईक्लोजेल दर्द की ट्यूब की भी गत तीन माह से नाम मात्र की सप्लाई आने के कारण इन दवाईयों का अभाव खटक रहा है। सीएचसी मे रोजाना ३०० से ३५० रोगी आते हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने १६ सितंबर २०१६ को मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के बने भवन के उद्घाटन के समय सीएचसी को ५० बैड करने की घोषणा की थी लेकिन घोषणा पर आज तक अमल नहीं हुआ। चिकित्सकों व कर्मचारियों की कमी तथा सीएचसी को ५० बेड की करने की मांग को लेकर माह जून २०१८ में भाजपा पार्षद बेगराज नाई ने सीएचसी के सामने २५ दिनों तक धरना-प्रर्दशन व अनशन किया इसके बावजूद भी समस्यां का कोई हल नहीं हुआ। ये बड़ी विडम्बना की बात है।