लोकसभा चुनाव में रहा बड़ा मुद्दा
पिछले लोकसभा चुनाव में रेल विकास और धारों की धरतीवाले चूरू जिले को नहर से जोड़ने का मुख्य मुद्दा रहा। हर हाथ को काम हर खेत को पानी के मुद्दे के साथ तारानगर के लिए रेल पटरिया बिछाने का बड़ा मुद्दा रहा। रिणी को रेल सेवा से जोड़ने का मुद्दा वर्षों से चला आ रहा है लेकिन तारानगर को आज तक रेल की सिटी और छुकछुक की आवाज अभी नहीं सुनाई दी है।लोकसभा की पांच विधानसभा से सटा तारानगर
चूरू लोकसभा क्षेत्र की एक मात्र विधानसभा है जो हनुमानगढ़ जिले सहित पांच विधानसभा से सटा क्षेत्र है और ये पांचों क्षेत्र रेलवे से जुड़े हैं। नोहर-भादरा, सरदारशहर, सादुलपुर और चूरू की सीमा से सटे तारानगर के लोग आजादी के अमृत महोत्सव तक रेल गाड़ी का दीदार तक नहीं कर पाएं है। कहते हैं कि अब यह तहसील को विकास की राह पर ले जाने की दरकार है। इसलिए केवल तारानगर ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण अंचल के लोग यहां रेल पटरिया बिछने का इंतजार कर रहे हैं। एक दशक पूर्व रेल मंत्रालय की ओर से चूरू-नोहर वाया तारानगर के बीच नई लाइन के लिए 2010 में आरईसीटी सर्वेक्षण करवाया गया। सर्वे में 118.70 किलोमीटर लम्बाई की रेल पटरी बिछाने सहित प्रस्तावित लागत 342.20 करोड़ रुपए बताए गए। बीकानेर मण्डल अन्तर्गत किए गए इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट 31 जनवरी 2011 को रेलवे बोर्ड को भेज दी गई लेकिन रेलवे बोर्ड ने 19 अक्टूबर 11 में इस रिपोर्ट को स्थगित कर दिया है।