ऐसे विरासत का अस्तित्व खतरे में हैं। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 16 मार्च 2020 से इसमें पर्यटकों का प्रवेश बंद कर दिया है। मेवाड़ ही नहीं बल्कि, यह देश की सांस्कृतिक धरोहर है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में पिछले दिनों यहां वैज्ञानिकों की टीमें आई।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग के विजय स्तंभ को सहेजने के लिए कई बार केमिकल वॉश समेत कई इंतजाम भी कराए गए।
स्तंभ को बचाने के लिए उठाया बड़ा कदम
तमाम कोशिशों के बाद भी इसमें आ रही दरारों को रोक पाने में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को कामयाबी नहीं मिली है। अब स्तंभ को बचाने की दिशा में कदम उठाते हुए इसके चारों ओर बेरिकेडिंग कराई कई है। ऐसे में पर्यटक अब इसे छू भी नहीं सकेंगे।
राणा कुंभा ने करवाया था विजय स्तंभ का निर्माण
बता दें, मालवा के सुल्तान पर विजय की स्मृति में राणा कुंभा ने 37.19 मीटर (122 फीट 9 इंच) ऊंचे विजय स्तंभ का निर्माण कराया। इसका निर्माण कार्य 1442 में शुरू हुआ और 1448 में पूरा हुआ। तब इसके निर्माण पर करीब 90 लाख खर्च हुए थे।