सामाजिक कार्यकर्ता रूमा देवी की पहल, तीस गांव की 30 बेटियां बनेंगी बेटी बचाओ की ब्रांड एंबेसडर
उत्तर प्रदेश के भक्तों ने दिया सहारा
कारसेवकों को पुलिस के दमन से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश के गांव-गांव में लोगों ने खेतों में अस्थाई आवास बना लिए। कार सेवकों को घरों में रहने की व्यवस्था की। रात में कारसेवक पैदल निकलते तो लोग अपने गांव की सीमा पर लालटेन लेकर आगे बढ़ने का संकेत कर देते। वहीं, पुलिस का खतरा होने पर भी छिपाने का जतन करते। जब पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी तो स्थानीय निवासियों ने पानी की बौछारें कर उसे विफल कर दिया। क्षेत्र से भंवरलाल विजयवर्गीय, भंवरलाल अहीर, सज्जन सिंह तंवर, लोकेश दवे, वेणीराम शर्मा, नंदलाल मेनारिया, अरुण कंठालिया जैसे कई कारसेवकों ने भाग लिया।
Jaipur Kite Festival 2024: जलमहल की पाल पर काइट फेस्टिवल शुरू, पर्यटकों को दिखे अद्भुत नजारे, देखें तस्वीरें
नकली अर्थी के सहारे अस्थाई जेल से निकले
कोटा से अयोध्या जाने के लिए दिल्ली से बाहर निकलते ही उत्तर प्रदेश की सीमा पर गाजियाबाद में ट्रेन को रोककर कारसेवकों को जबरन उतार कर वहां अस्थाई रूप से बनाई गई जेल में ले जाकर बन्द कर दिया। तीन दिन उस जेल में रहने के बाद युवाओं ने मिलकर योजना बनाई और छद्म रूप से किसी कारसेवक की मौत हो जाने का बहाना बनाया। नकली अर्थी तैयार कर जेल से बाहर निकल गए और चल पड़े। रात के अंधेरे में गन्ने के खेतों के रास्ते फिर से पुलिस के हत्थे चढ़ गए। इसके बाद देवबन्द जेल और वहां से निकल कर बाराबंकी ले जाया गया। जहां तत्कालीन चित्तौड़गढ़ जिला संघ चालक वृद्धिचंद जैन और भाजपा के तत्कालीन जिला अध्यक्ष अरुण समदानी जैसे लोग पहले से ही गिरफ्तार हुए थे। उम्रदराज लोगों को छोड़ फिर कूच किया। सरयू नदी के तट पर महूड़ा के वेणीराम शर्मा को पुलिस की गोली लगी। गंभीर रूप से घायल शर्मा को लेकर भीड़ तितर-बितर हो गई। इसके बाद श्रीराम जन्म भूमि मुक्ति आंदोलन समिति ने कारसेवकों को लौटने के निर्देश दे दिए।