गाइडलाइन के मुताबिक शिक्षा सत्र शुरू होते ही सभी सरकारी विषय अध्यापकों को ट्यूशन नहीं पढ़ाने का शपथ-पत्र भी देना होगा। इस संबंध में शिक्षा निदेशक ने आदेश जारी कर सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को इसकी पालना सुनिश्चित करने के लिए कहा है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कई जगहों पर शिक्षकों के ट्यूशन और कोचिंग में पढ़ाने के प्रकरण सामने आने के बाद शिक्षा निदेशक ने इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए गाइडलाइन जारी की है।
शिक्षक और कार्मिक की ओर से विभाग की स्वीकृति के बिना स्वयं के निजी कोचिंग सेंटर चलाने की शिकायत मिलने के बाद सभी संस्था प्रधानों को ऐसे शिक्षकों को चिह्नित करने के आदेश दिए हैं। वहीं, शिकायत मिलने पर संबंधित शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इसके साथ ही संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूल के निरीक्षण के दौरान छात्र-छात्राओं से व्यक्तिगत सम्पर्क कर वास्तुस्थिति की जानकारी लेने के निर्देश दिए है।
संस्था प्रधानों को दी जिम्मेदारी
शिक्षा निदेशक ने स्पष्ट कहा है कि इसका मकसद सिर्फ इतना है कि व्यक्तिगत अध्यापन की आवश्यकता न हो। ऐसा देखा गया है कि क्लास में विद्यार्थियों की संख्या अधिक होने के कारण या अध्यापकों द्वारा अपने दायित्वों को न समझने के कारण प्राइवेट टयूशन दिया जाता है। ट्यूशन रोकने की जिम्मेदारी शिक्षा निदेशक ने सभी संस्था प्रधान को दी है।