वैदिक शास्त्र के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य 14 मार्च को मीन राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसके साथ ही मलमास आरंभ हो जाएंगे। इसके बाद 13 अप्रेल को मेष राशि में प्रवेश कर जाएंगे और मलमास समाप्त हो जाएगा।
ज्योतिषों के अनुसार, जब सूर्य गुरु की राशि यानी मीन या धनु राशि में प्रवेश करते हैं। ऐसे में गुरु काफी कमजोर हो जाता है। ऐसे में किसी भी तरह के शुभ कार्यों को करने क मनाही होती है, क्योंकि गुरु का शुभ प्रभाव नहीं पड़ता है। मलमास के दौरान शादी-विवाह जैसे मांगलिक कामों को करने की मनाही होती है। इस दौरान गृह प्रवेश, मुंडन, छेदन सहित अन्य 16 संस्कारों को करने की मनाही होती है। इसके अलावा नया बिजनेस खोलने की मनाही होती है।
●खरमास के दौरान शादी-विवाह या फिर विवाह से संबंधित कोई भी काम जैसे सगाई, तिलक, बेटी की विदाई आदि करने की मनाही होती है।
● मलमास के दौरान गृह प्रवेश नहीं किया जाता है।- मलमास के दौरान नए व्यापार का आरंभ नहीं किया जाना चाहिए।
● मलमास के दौरान मुंडन, छेदन, जनेऊ जैसे 16 संस्कारों को करने की मनाही होती है।
● मलमास के दौरान रोजाना सूर्य देव को अर्घ्य करना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, लाल फूल और अक्षत डाल लें। मलमास के दौरान जप, तप और दान करने का विशेष महत्व है। इन कामों को करने से हर तरह के दोषों से मुक्ति मिल सकती है।
● मलमास के एक माह के दौरान गंगा या अन्य पवित्र नदी में स्नान जरूर करें। इससे पुण्य की प्राप्ति की मान्यता है।- मलमास के दौरान पशु-पक्षियों व जरूरतमंदों की सेवा व सत्कार जरूर करना चाहिए।
● मलमास में पूरे एक माह में एक बार जरूर किसी न किसी तीर्थस्थल में जाना चाहिए।
● मलमास के दौरान हर सुबह पवित्र ग्रंथ राम चरित्र मानस, श्रीमद् भागवत कथा का पाठ करने से मोक्ष मिलती है।
● मलमास में भगवान विष्णु की पूजा और विष्णु सहस्त्रनाम का जप भी अवश्य करना चाहिए। इससे हर मनोकामना पूर्ण होती है।
● हर सुबह जल में दूध मिलाकर तुलसी जी को अर्घ देना चाहिए.