विश्व प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ किले में इस तरह की व्यवस्थाओं का सामना करने पर राजस्थान पर्यटन की किरकिरी भी हो रही है। हालात ऐसे बने कि यात्री शो खत्म होने से पहले ही ट्रेन में सवार हो गए। महल में अव्यवस्थाओं को लेकर ट्रेन प्रबंधन ने चित्तौड़गढ़ के कलक्टर को पत्र लिखकर पूरे हालात बताने की बात कही है।
जैसलमेर में न मिलें ऐसे हालात, कलक्टर से लगाई गुहार
ट्रेन चित्तौड़गढ़ से रवाना होकर जैसलमेर पहुंची। यहां के स्मारकों पर ऐसे ही हालात न मिलें, इसके लिए यात्रियों को घुमाने से पहले प्रबंधन ने जैसलमेर के कलक्टर से मुलाकात की और स्मारकों के टॉयलेट और अन्य अव्यवस्थाओं के सुधार की गुहार लगाई, ताकि चित्तौड़गढ़ में हुई किरकिरी से बचा जा सके। ट्रेन में सवार यात्री पूरे चित्तौड़गढ़ किले के पद्मिनी महल में दिखी अव्यवस्थाओं की चर्चा करते रहे।
करोड़ों खर्च होते हैं सालाना रख-रखाव पर
जानकारी के अनुसार, किले के रखरखाव पर सालाना करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। इसके बावजूद विदेशी पर्यटकों को ऐसे अनुभव का सामना करने के बाद रखरखाव सवालों के घेरे में आ गया है क्योंकि स्मारकों पर साफ-सफाई, पर्यटकों की सुरक्षा, पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधाओं का होना बेहद जरूरी है। चित्तौड़गढ़ किले में अव्यवस्थाओं के कारण मेहमानों को काफी परेशानी हुई। व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए कलक्टर को पत्र लिखा जाएगा। वहीं, जैसलमेर पहुंचने पर कलक्टर से मुलाकात कर यहां के स्मारकों की बुनियादी सुविधाओं में सुधार का आग्रह किया गया है।
- भगत सिंह, ओएंडएम ऑपरेटर, पैलेस ऑन व्हील्स