छिंदवाड़ा

Embezzlement case: खुली परतें, जांच अधिकारियों ने बताया कैसे होते रहे बिल पास

– कोषालय ने न बैंक खाते चैक किए, न ही सम्बंधित से की पूछताछ

छिंदवाड़ाAug 04, 2024 / 12:17 pm

prabha shankar

1.32 करोड़ रुपए का गबन काण्ड

जुन्नारदेव के 1.32 करोड़ रुपए के गबन काण्ड की परतें लगातार खुलती जा रही हैं। जांच अधिकारियों की मानें तो इस प्रकरण में कोषालय अधिकारी-कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध रही है। उन्होंने जुन्नारदेव में लगातार जारी हो रही राशि के बैंक खाते चैक किए और न ही संबंधित खातेदार के बारे में पूछताछ की। यदि ये सब होता तो इस गबन की कलई पहले ही खुल गई होती।
संयुक्त संचालक कोषालय जबलपुर से जुड़ी टीम के मुताबिक इस वित्तीय अनियमितता को जन्म तौसीफ और उससे जुड़े लोगों ने मिलकर दिया। उसनेे अपनी पत्नी समेत अन्य रिश्तेदारों और साथियों के खाते में राशि डाली। अपनी पत्नी को नजदीकी स्थल पर अतिथि शिक्षक तक बनाया। इसके बाद धड़ल्ले से सरकारी राशि का दोहन किया। इसे छिंदवाड़ा कोषालय अधिकारी-कर्मचारियों ने अनदेखा किया। जबलपुर की इस टीम ने पहले भी छिंदवाड़ा, मोहखेड़ समेत अन्य क्षेत्रों में जांच की थी। उस दौरान भी संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों पर एफआइआर किए। साथ ही कुछ कर्मचारियों को जेल तक पहुंचाया। जांच टीम का दावा है कि इस प्रकरण में कोषालय अधिकारी-कर्मचारियों को छोड़ दिया गया। जबकि उन पर भी कार्रवाई की जा सकती है।

मृतकों के नाम तक की राशि हड़प गए

जांच टीम ने यह भी पाया कि एक कर्मचारी राजेंद्र परिहार के मृत होने पर उनके नाम की राशि पत्नी किरण परिहार को मिलनी थी। इस राशि को पत्नी को न देते हुए लिपिक-लेखापाल हड़प गए। इसके अलावा एक प्रकरण मृतक गीता डेहरिया का था। इसमें भी राशि का घोटाला किया गया।

दो पूर्व बीइओ के सस्पेंड करने का प्रस्ताव जबलपुर भेजा

जुन्नारदेव के दो पूर्व बीइओ एमआई खान और आनंदराव लोखण्डे की एफआइआर होने के बाद उनके निलंबन का प्रस्ताव जबलपुर कमिश्नर के पास भेज दिया गया है। सहायक आयुक्त जनजातीय सत्येन्द्र मरकाम का कहना है कि इसकी आगे कार्रवाई जबलपुर से होगी।

जबलपुर टीम ने पकड़ा

कोषालय छिंदवाड़ा ने छोड़ा, इस मामले में यह तथ्य भी सामने आया है कि कोषालय अधिकारी छिंदवाड़ा की टीम पहले जांच करने जुन्नारदेव गई थी और तीन-चार दिन में ही लौट गई थी। इसके बाद जबलपुर संयुक्त संचालक कोष की जांच टीम पहुंची और इस केस की बारीकी से 15 दिन तक जांच पड़ताल की। इस दौरान उन्होंने सभी तथ्य खंगाले और पूरे भ्रष्टाचार और गबन को उजागर किया।

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