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छिंदवाड़ा

सीताफल से मिल रहा अल्प रोजगार, स्थायी के लिए प्रसंस्करण यूनिट की दरकार

– फल संग्राहकों को दो माह की रोजी-रोटी
– उद्योग लगे तो नियमित मजदूरी मिलने की संभावनाएं
– स्थानीय बाजार से बनारस, दिल्ली और लेह लद्दाख तक पहुंच रहा फल

छिंदवाड़ाOct 25, 2024 / 11:04 am

prabha shankar

Seetafal

उद्यानिकी फल सीताफल बाजार में आ गया है। इससे गांव से लेकर शहर तक हजारों हाथों को रोजगार मिल रहा है।

अक्टूबर-नवम्बर माह का प्रमुख उद्यानिकी फल सीताफल बाजार में आ गया है। इससे गांव से लेकर शहर तक हजारों हाथों को रोजगार जरूर मिल रहा है, लेकिन इस फल पर आधारित प्रसंस्करण यूनिट अब तक नहीं लग पाई है। यह फल स्थानीय बाजार के अलावा बनारस, लेह लद्दाख समेत दूसरे राज्यों के प्रमुख शहर पहुंच रहा है।
इस समय पुलिस पेट्रोल पंप और कलेक्ट्रेट के सामने आदिवासी महिला-पुरुषों और छोटे व्यवसायियों को सीताफल बेचते देखा जा सकता है। इसकी कीमत सौ से तीन सौ रुपए टोकरी तक है। ग्राम खुटिया की रामकली मर्सकोले, लावाघोघरी के युवा रामरतन उइके समेत अन्य बाजार में सीताफल बेचते दिखे। उन्होंने कहा कि सीताफल से दो माह की रोजी रोटी मिल जाती है। हर दिन 200-300 रुपए मिल जाते हैं। इधर, व्यवसायियों की मानें तो जिले में पांढुर्ना, लावाघोघरी, तामिया, जुन्नारदेव, मोहखेड़, बिछुआ और अमरवाड़ा समेत अन्य क्षेत्रों में सीताफल के पेड़ हैं। इस मौसम में ही ये फल आते हैं। इस बार भी उपज भरपूर है। उनके मुताबिक इस व्यवसाय में बड़े व्यवसायी भी सक्रिय हैं। ये सीताफल एक मुश्त खरीदकर बाहर भेज रहे हैं। इससे लाखों रुपए की आय प्राप्त हो रही है।

तेल, साबुन-पेंट में भी उपयोगी

सीताफल के इस्तेमाल से हृदय सम्बंधित, पेट सम्बंधित, कैंसर, कमजोरी और जोड़ों में दर्द जैसी कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है। इसके बीजों के तेल का इस्तेमाल साबुन और पेंट बनाने में किया जाता है, तो वहीं दलहनी फसलों के कीट नियंत्रण में भी उपयोगी है।

सीताफल की प्रसंस्करण यूनिट की जरूरत

लावाघोघरी क्षेत्र में सर्वाधिक सीताफल होता है। इस पर निजी क्षेत्र के लोग सामने आए तो लघु उद्योग लग सकता है। लघु और सूक्ष्म प्रसंस्करण इकाइयों से सीताफल समेत पापड़, बड़ी, अचार, मुरब्बा, डेयरी, मिष्ठान व नमकीन तैयार करने, गुड़ घाना, चिरौंजी की इकाई स्थापित करने, आलू के चिप्स बनाने की मशीन स्थापित करने, मसाला उद्योग, मैदा सूजी बनाने की मशीन स्थापित करने जैसी कई इकाइयों पर अनुदान भी मिल रहा है। जिले में लघु उद्योग यूनिट मंजूरी दी गई है। सीताफल यूनिट का इंतजार है।

ये हैं प्रसंस्करण आधारित उद्योग

सीताफल का प्रसंस्करण कर उसके गूदे से कई खाद्य पदार्थ व उत्पाद बनाए जा सकते हैं। इनमें आइसक्रीम, शरबत, जेम, रबड़ी, शेक, पाउडर आदि शामिल हैं। सीताफल के छिलकों से कम्पोस्ट खाद फसलों के लिए काफी लाभदायक है। सीताफल के गूदे को निकालने के लिए तकनीक भी विकसित कर ली गई है। इसकी मार्केटिंग की भी संभावनाएं हैं। छिंदवाड़ा शहर में इसकी आइसक्रीम बेची जा रही है।
इस समय लावाघोघरी के पास सृजन एफपीओ सीताफल के गूदे का कलेक्शन कर रहा है। इसका उपयोग आइसक्रीम में हो रहा है। जिले में प्रसंस्करण यूनिट की संभावनाएं हैं। इस पर 35 फीसदी अनुदान भी दिया जा रहा है।
-एमएल उइके, सहायक संचालक उद्यानिकी

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