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छतरपुर

शहर से लेकर गांव तक जल संकट, राहत नहीं

आधे शहर की आबादी में नहीं आ रहा नल से जल, गांवों में पानी के आस में घट पर बीत रहा बचपन

छतरपुरMay 14, 2020 / 07:53 pm

Samved Jain

शहर से लेकर गांव तक जल संकट, राहत नहीं

शहर से लेकर गांव तक जल संकट, राहत नहीं

छतरपुर. मई के शुरुआती दिनों में ही जिले भर में शुरु हुआ जलसंकट अब भीषण रूप ले चुका है। शहर हो या गांव हर तरफ पानी को लेकर हा-हाकार हैं। ऐसे में पीने के पानी के लिए सबसे Óयादा लोगों को जद्दोजहद करना पड़ रही हैं। इधर, विभाग कागजी खानापूर्ति करने में जुटा हुआ हैं।
जिले के बक्सवाहा, बड़ामलहरा, खजुराहो, लवकुशनगर क्षेत्र के अलावा छतरपुर शहर में सबसे Óयादा जलसंकट इन दिनों हो रहा हैं। इन क्षेत्रों के 200 से अधिक गांवों के लोग भीषण जलसंकट से अब जूझने लगे हैं। आलम यह है कि पीने के पानी के लिए घर के ब’चों से लेकर बूढ़े तक लगे हुए हैं। कई गांवों में तो प्राचीन जलस्रोत ही अब पानी का एकमात्र सहारा रह गए हैं, तो कई जगहों पर 5-5 किलोमीटर दूर जाकर लोग पानी लाने मजबूर हैं।
आधा शहर परेशान, बोर से पानी आना बंद
छतरपुर शहर में भी इन दिनों भीषण जलसंकट शुरू हो गया हैं। जिससे आधे शहर की आबादी परेशान हैं। जिसका कारण बोर से पानी आना बंद होना हैं। इन क्षेत्रों में नगरपालिका की पाइप लाइन तो हैं, लेकिन अब तक उसमें पानी पहुंचना शुरू नहीं हुआ हैं। दूसरी ओर हर साल ही तरह जलसंकट के दौरान वार्डों में पहुंचने वाले टैंकर भी अब तक शुरू नहीं हो सके हैं। जबकि निजी टैंकर भी लॉक डाउन के चलते नहीं दौड़ पा रहे हैं। ऐसे में शहर के लोग पानी नहीं मिलने से सबसे Óयादा परेशान हैं। कई घरों के लोगों को सुबह और रात को कुप्पा लेकर पानी भरने जाते हुए देखा जाने लगा है।
गांव में पानी के चक्कर में बीत रहा बचपन
गांवों में भी नल-जल योजनाएं पूरी तरह ठप पड़ी हुईं हैं। हैंडपंप के भरोसे जिन गांवों में मई के शुरुआत तक पानी आ रहा था, वहां से भी अब हवा आ रही हैं। ऐसे में पानी के लिए ग्रामीण दिन-दिन भर जद्दोजहद कर रहे हैं। बक्स्वाहा ब्लाक की ग्राम पंचायत गड़ोही में ऐसी ही तस्वीर सामने आई। यहां के वासिंदे तीन किलोमीटर दूर एक बोरवेल से पानी ला रहे हैं। गांव के अधिकांश हैंडपंप बंद हो गए हैं। पीने तक को पानी ग्रामीणों को जुटाना मुश्किल हो रहा हैं। यही वजह है कि सुबह के 5 बजे से ही गांव की महिलाएं, ब’चे, बड़े, बूढ़े सब बर्तन लेकर पानी भरने के लिए जाते हैं। इतना ही नहीं बोरवेल से रुक-रुक कर पानी आने की वजह से चिलचिलाती धूप में भी ब’चे पंप के पास बैठकर पानी आने का इंतजार करते हुए देखे जा रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार पानी के बिना कोई काम नहीं होता। रोजाना इतना पानी मिल जाता हैं कि पीने आदि का काम चल रहा हैं। निस्तार के लिए तलैया, नाला के भरोसे हैं।
हैंडपंप सुधार के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
पीएचई विभाग द्वारा गांव-गांव में हैंडपंप सुधार के लिए ठेका दे रखा हैं। जिसकी हकीकत गांव में देखने मिल रही हैं। जिले के अधिकांश गांवों में भारी मात्रा में हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं। कई जगहों पर सुधार तो हुआ, लेकिन एक सप्ताह भी कायम नहीं रह सका, ऐसे में हालात जस के तस बने हुए हैं। नल-जल योजनाओं के हाल और भी Óयादा खराब हैं। जिसकी लाइन भले ही कुछ गांवों में डली मिल जाए, लेकिन नल से जल कहीं भी नहीं आ रहा हैं। कस्बाई क्षेत्रों में भी जलसंकट से निपटने के लिए कुछ प्रयास गर्मी के पहले बक्स्वाहा, हरपालपुर क्षेत्र में हुए, लेकिन वह भी लोगों का गला तर करने नाकाफी साबित हुए है।

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