छतरपुर

सरकारी अस्पताल से निजी नर्सिंग होम ले जाकर हड्डी के मरीजों का ऑपरेशन करने वाले दूसरे डॉक्टर पर कार्रवाई का प्रस्ताव तक नहीं

प्रशासन की टीम की छामेमारी में केवल एक डॉक्टर पकड़ में आया, जिसके खिलाफ सिविल सेवा आचरण संहिता के उल्लंघन पर कार्रवाई का प्रस्ताव भेजा गया है। लेकिन दूसरे डॉक्टर को जांच टीम पकड़ नहीं पाई।

छतरपुरJan 19, 2025 / 10:44 am

Dharmendra Singh

जिला अस्पताल

छतरपुर. जिला अस्पताल के मरीजों को अवैध तरीके से निजी नर्सिंग होम में ले जाकर उनका ऑपरेशन कर लाखों वसूलने के दो मामलों में राजनगर विधायक अरविंद पटेरिया ने शिकायत की थी। लेकिन प्रशासन की टीम की छामेमारी में केवल एक डॉक्टर पकड़ में आया, जिसके खिलाफ सिविल सेवा आचरण संहिता के उल्लंघन पर कार्रवाई का प्रस्ताव भेजा गया है। लेकिन दूसरे डॉक्टर को जांच टीम पकड़ नहीं पाई। जबकि विधायक की शिकायत और मरीज के बयान के आधार पर दूसरे डॉक्टर के कारनामा का खुलासा और कार्रवाई की जा सकती है। अधिकारियों का कहना है कि डॉ. रवि सोनी के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव नहीं भेजा गया है।

विधायक ने कराया था जिला अस्पताल में भर्ती,फिर भी वसूले लाखों


गौरतलब है कि राजनगर विधायक अरविंद पटेरिया ने अपनी विधानसभा क्षेत्र के दो ऐसे मरीजों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया था, जिन्हें हड्डी के ऑपरेशन की जरूरत थी। डॉक्टरों के दलालों ने उन्हें झांसा दिया और एक को डॉ. राजेन्द्र धमनया के निजी अस्पताल ले जाया गया और ऑपरेशन के बदले डेढ़ लाख रुपए वसूले गए। वहीं दूसरे मरीज को डॉ. रवि सोनी के पास ले जाया गया, जिन्होंने मरीज के ऑपरेशन का ढाई लाख रुपए वसूला। बताया जा रहा है कि दोनों मरीज गरीब है, जिन्हें इलाज के लिए खुद विधायक लेकर जिला अस्पताल आए थे। लेकिन दलालों ने विधायक की परवाह किए बिना इन मरीजों को झांसा में लिया और निजी अस्पताल में ऑपरेशन कराकर लाखों वसूल लिए।

दूसरे मरीज का बयान ही नहीं लिया


मामले की तहकीकात के दौरान यह सामने आया कि कुछ डॉक्टरों ने मरीजों को सरकारी अस्पताल से निजी नर्सिंग होम में भेजा था, जहां उनका इलाज अवैध तरीके से किया जा रहा था। मरीजों से प्राप्त बयान और अन्य साक्ष्यों के आधार पर डॉ. राजेंद्र धमनया का नाम सामने आया, जिन पर अब कार्रवाई का प्रस्ताव दिया गया है। वहीं, डॉक्टर रवि सोनी को लेकर मरीज के बयान ही नहीं लिए गए, जिससे उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव तक नहीं भेजा गया है। जबकि मरीज के बयान से और अन्य जांच के बाद यह साफ हो सकता है कि डॉ. सोनी की भूमिका इस मामले में कितनी बड़ी रही है।

अस्पतालों के लाइसेंस निरस्त, लेकिन डॉक्टर पर मेहरबानी


जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि डॉ. राजेंद्र धमनया ने मरीजों को सरकारी अस्पताल से निजी नर्सिंग होम भेजा, जहां उनका इलाज करने के एवज में लाखों वसूले गए। इसके चलते अस्पताल का लाइसेंस भी निरस्त किया गया है। वहीं अब विभागीय जांच में डॉ. धमनया की भूमिका की विस्तार से समीक्षा की जा रही है। दूसरी ओर डॉ. रवि सोनी पर कार्रवाई का प्रस्ताव नहीं है। जबकि उनसे जुड़े अस्पताल का भी लाइसेंस निरस्त किया गया है। इस घटना के बाद से जिला अस्पताल और निजी नर्सिंग होम्स की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। आम जनता और मरीजों को जागरूक होने की जरूरत है, ताकि वे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में इलाज के दौरान किसी भी प्रकार की अनियमितता का विरोध करें और ऐसी घटनाओं की सूचना संबंधित अधिकारियों को दें।

इनका कहना है


जांच में डॉ. धमनया को लेकर जो तथ्य आए हैं, उसका प्रतिवेदन कलेक्टर को भेजा गया है। डॉ. रवि सोनी के लिए कोई प्रतिवेदन नहीं भेजा गया है। कलेक्टर के मार्गदर्शन में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. आरपी गुप्ता, सीएमएचओ

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