इन कार्यो को मिली थी स्वीकृति
6 सितंबर 23 को दोपहर 12 बजे नगर पालिका के सभागार में परिषद की बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पार्षदों के अलावा स्थानीय विधायक और सांसद प्रतिनिधि को भी आमंत्रित किया गया था। बैठक में जो महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित हुए, इनमें अमृत-2 परियोजना से भी काम कराने पर सहमति जताई गई थे। अमृत-2 परियोजना में 2 करोड़ 94 लाख 70 हजार रुपए की लागत से संकट मोचन तालाब, बड़ा तालाब में आरसीसी ट्रेन पिचिंग वर्क, स्टोलेशन ऑफ एसटीपी ट्रीटमेंट ऑफ एल्जी एंड एक्ट्रा ग्रीन कलर, फ्लोटिंग फाउंटेन को शामिल किया गया था। इसके साथ ही दो करोड़ 95 लाख रुपए की लागत से नवीन टंकी का निर्माण, पाइप लाइन निर्माण शामिल किया गया था। इस तरह से 5 करोड़ 89 लाख 70 हजार रुपए के इन विकास कार्यों को परिषद की स्वीकृति मिलने के साथ ही प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर निविदा जारी करने का भी प्रस्ताव पारित किया था।
ये है अभी स्थिति
नगरपालिका द्वारा परिषद में प्रस्ताव पारित होने के बाद इन कार्यों का डीपीआर तैयार किया गया। इन्हें प्रशासकीय स्वीकृति के लिए भेजा गया। लेकिन डीपीआर को पास कराने में अब तक नगरपालिका द्वारा कोई रुचि नहीं दिखाई गई है। इधर पिछले महीने टीएल बैठक में पूरे जिले के प्राचीन जल संरचनाओ के जीर्णोद्वार और सौंदर्यीकरण की बात कलेक्टर द्वारा उठाई गई। चूंकि कलेक्टर ने शहर के सभी तालाबों का स्थल निरीक्षण किया है इस कारण उन्हें इस बात की जानकारी है कि बड़ा तालाब की अपेक्षा ग्वालमंगरा तालाब के जीर्णोद्वार की अधिक जरूरत है। इस पर टीरएल बैठक में संकट मोचन तालाब के साथ ही ग्वाल मंगरा तालाब का जीर्णोद्वार अमृत-2 परियोजना से कराए जाने पर सहमति बनी। कलेक्टर संदीप जीआर ने ग्वाल मंगरा और संकट मोचन तालाब का डीपीआर तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इसके बाद डीपीआर में बदलाव हुआ। डीपीआर एकबार फिर प्रशासकीय स्वीकृति के लिए नगरीय प्रशासन में अटका हुआ है।
फिर कैसे होगा काम
6 सितंबर 23 को परिषद में प्रस्ताव पारित होने के कारण नगरपलिका प्रशासन द्वारा अमृत-2 परियोजना से होने वाले काम को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। पिछले माह कलेक्टर के सख्त निर्देश के बाद डीपीआर तो बना दिया गया लेकिन अब प्रशासकीय स्वीकृति के लिए प्रयास नहीं हो रहे हैं। इधर अब बारिश का सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में अब यह तो तय हो गया कि इस सीजन में अमृत-2 परियोजना से काम नहीं हो पाएगा। इसके लिए एक बार फिर बारिश खत्म होने का इंतजार होगा। बारिश खतम होते ही दोनों तालाबों का वाटर लेबल फुल होगा ऐसे में अगली गर्मी तक इंतजार करना होगा। ऐसे में कागजों पर स्वीकृत हुए 5 करोड़ 89 लाख 70 हजार रुपए के काम ठंडे बस्ते में ही रहेंगे। इस संबंध में सीएमओ माधुरी शर्मा से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।