नई पीढी को मिलेगी विरासत
यह गुरुकुल लोक कला, काष्ट शिल्प, हस्तशिल्प, लोह शिल्प, लोक नृत्य, लोकगीत, और लोक संगीत जैसे विभिन्न पारंपरिक कलाओं को सिखाने का केंद्र बनेगा। वर्तमान में कई लोककलाएं विलुप्त होने की कगार पर हैं और इस गुरुकुल के माध्यम से नई पीढ़ी को इन कला रूपों की सीख दी जाएगी ताकि इनका संरक्षण किया जा सके।
एक साथ पांच लोककलाओं की ट्रेनिंग
गुरुकुल में 250 कलाकारों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी, जहां वे गुरुओं से विभिन्न लोककलाओं को सीख सकेंगे। इसमें एक ही स्थान पर पांच प्रमुख शिल्प विधाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा। संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गुरुकुल के निर्माण का उद्देश्य लोककलाओं का संरक्षण और उन्हें जीवित रखना है, ताकि युवा पीढ़ी इन कला रूपों को सीख सके और पारंपरिक शिल्पों की महत्ता को समझे।
प्रशिक्षण की जिम्मेदारी कलाकारों की
लोककला गुरुकुल में प्रशिक्षकों की स्थायी नियुक्ति नहीं की जाएगी। इसके बजाय, वरिष्ठ और अनुभवी कलाकार स्वयं प्रशिक्षक के रूप में कार्य करेंगे। उदाहरण के तौर पर, बांस की टोकरी बनाने वाले वरिष्ठ शिल्पकार गुरुकुल में आकर नए कलाकारों को टोकरी बुनने की कला सिखाएंगे। इस तरह, हर विधा के विशेषज्ञ समय-समय पर प्रशिक्षण देंगे।
विशेष सुविधाओं के साथ विकसित होगा गुरुकुल परिसर
गुरुकुल परिसर में नृत्य और गायन के लिए एक 200 व्यक्तियों की क्षमता वाला खुला मंच, ऑडिटोरियम, रिकार्डिंग के लिए स्टूडियो, और जनसुविधाओं से सुसज्जित ग्रीनरूम जैसी सुविधाएं बनाई जाएंगी। इसके अतिरिक्त, परिसर में एक वाटर बॉडी भी विकसित की जाएगी, जो अग्निशमन के संयंत्र के पानी के भंडारण के रूप में काम आएगी। गुरुकुल में पांच अलग-अलग शिल्प विधाओं में प्रशिक्षण देने के लिए पांच गैलरी बनाई जाएंगी। इन गैलरियों में शिल्प निर्माण की तकनीक को सिखाने के साथ-साथ कच्ची सामग्री के भंडारण की व्यवस्था भी की जाएगी। इस परिसर में ग्रामीण परिवेश के अनुकूल लैंडस्केपिंग भी की जाएगी, जिससे यह शिल्पों की कक्षा के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करेगा।
नए कलाकारों के लिए एक अनूठा अवसर
गुरुकुल के निर्माण से स्थानीय समुदाय के युवाओं को नए कौशल सीखने का अवसर मिलेगा, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा। साथ ही, यह पहल छतरपुर और खजुराहो जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक केंद्रों को और भी अधिक प्रसिद्ध करेगी और पर्यटकों को आकर्षित करने में सहायक सिद्ध होगी। यह प्रोजेक्ट राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है और इसके माध्यम से देशभर में मध्य प्रदेश की लोक कला को एक नई पहचान मिलेगी।
इनका कहना है
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में यह पहल राज्य में लोक कला के संरक्षण और संवर्धन के लिए मील का पत्थर साबित होगी। यह गुरुकुल न केवल कला और शिल्प को जीवित रखने का एक प्रयास होगा, बल्कि यह स्थानीय कलाकारों को एक मंच प्रदान करेगा, जहां वे अपनी कला का प्रदर्शन कर सकेंगे और नई पीढ़ी को इसे सिखा सकेंगे।
अशोक मिश्रा, प्रभारी अधिकारी, गुरुकुल, मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग