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छतरपुर

नहीं सुधर रहे जिला अस्पातल के हाल, जमीन पर लेटकर इलाज कराने रहे मरीज

जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधर नहीं रही हैं। मरीजों को बेड़ और चादर तक नसीब नहीं हो रहे हैं। मरीजों को वार्ड में जमीन पर लेटकर इलाज कराना पड़ रहा है। जिन्हें बेड मिल भी रहे हैं, तो उन्हें चादर नहीं मिल पा रही है।

छतरपुरOct 03, 2024 / 10:50 am

Dharmendra Singh

district hospital

जमीन पर इलाज कराते मरीज

छतरपुर. जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधर नहीं रही हैं। मरीजों को बेड़ और चादर तक नसीब नहीं हो रहे हैं। मरीजों को वार्ड में जमीन पर लेटकर इलाज कराना पड़ रहा है। जिन्हें बेड मिल भी रहे हैं, तो उन्हें चादर नहीं मिल पा रही है। जबकि अस्पताल में मरीजों की हर दिन चादर बदलने के प्रावधान है। इसके लिए 40 लाख रुपए की लागत से लाउंड्री बनाई गई। संचालन का ठेका भी दिया गया हैै। लेकिन लापरवाही के चलते मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है।

केस 01


ग्राम कलानी निवासी रामचरण अहिरवार 35 वर्ष अपनी पत्नी भगवती अहिरवार 32 वर्ष को खांसी और खून की उल्टियां होने के कारण 29 सितंबर को जिला अस्पताल लेकर आए थे। भर्ती होने के बाद जब रामचरण ने नर्स से चादर मांगी तो नर्स ने कहा कि अस्पताल में चादरें उपलब्ध नहीं हैं,साथ ही रामचरण ने बताया कि डॉक्टर 24 घंटे में सिर्फ एक बार ही वार्ड का दौरा करते है।

केस 02


बिजावर क्षेत्र के शाहगढ़ निवासी रामकली यादव उम्र 50 वर्ष को बुखार, सर्दी और खांसी की समस्या के चलते सोमवार शाम 7 बजे जिला अस्पताल में भर्ती किया गया। जब रामकली ने नर्स से चादर की मांग की तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में चादरें उपलब्ध नहीं हैं।

केस 03


छतरपुर जीवन ज्योति कॉलोनी निवासी रोहिणी पटेल उम्र 17 वर्ष को सीने में दर्द की शिकायत के बाद सोमवार रात 10 बजे जिला अस्पताल में भर्ती किया गया। उन्होंने बताया कि भर्ती होने के बाद भी बेड नहीं मिला और नर्स ने यह कहकर बेड देने से मना कर दिया कि जहां जगह मिले वहां लेट जाएं वार्ड में कोई बेड खाली नहीं है ।

केस 04


छतरपुर बेनीगंज मोहल्ला निवासी रामबली अहिरवार अपनी बहन रामदेवी अहिरवार उम्र 24 वर्ष को विषैले कीड़े के काटने के बाद सोमवार रात 8.30 बजे जिला अस्पताल लेकर आए और रामदेवी को अस्पताल में भर्ती किया । रामबली ने बताया कि भर्ती होने के बाद अस्पताल में बेड नहीं मिला। नर्स से जब बेड की मांग की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में कोई बेड खाली नहीं है। जमीन पर लिटाकर इलाज करवाना उनकी मजबूरी बन गई।

केस 05


सिंगपुर निवासी नत्थू राजपूत अपनी मां शांति राजपूत उम्र 70 वर्ष को लगातार एक सप्ताह से बुखार आने के कारण मंगलवार सुबह 10 बजे जिला अस्पताल लेकर आए। भर्ती होने के बाद उन्हें न तो बेड मिला और न ही चादर मुहैया कराई गई।

केस 06


टटम निवासी गौरीशंकर अरजरिया ने अपनी 106 वर्षीय मां सरमन बाई को पेट दर्द की समस्या के चलते मंगलवार सुबह 10.30 बजे जिला अस्पताल में भर्ती कराया था । गौरीशंकर ने बताया कि वार्ड में कोई बेड खाली नहीं था, जिस कारण उन्हें एक भर्ती युवक से आग्रह कर उसके बेड पर अपनी मां को लेटाना पड़ा। जब गौरीशंकर ने नर्स से चादर की मांग की तो उन्हें चादर भी उपलब्ध नहीं कराई गई।

केस 07


चंद्रपुरा रेलवे स्टेशन के पास के निवासी भगवान दास कुशवाहा अपनी मां कुंती कुशवाहा उम्र 70 वर्ष को सीने में दर्द और घबराहट की शिकायत के साथ मंगलवार सुबह 8 बजे जिला अस्पताल लेकर आए। भर्ती होने के बाद उन्हें बेड नहीं मिला, लेकिन जब एक मरीज की छुट्टी हुई तो बेड उपलब्ध हुआ। इसके बाद भगवान दास ने नर्स से चादर की मांग की तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में चादरें उपलब्ध नहीं हैं।

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