पन्ना जिले में बढ़ी प्रभावित गांवों की संख्या
छतरपुर जिले के 14 गांव विस्थापित किए जा रहे हैं। इन गांवों में भरकुआं, ढोढन खरियानी, कुपी, मैनारी, पलकोंहा, शाहपुरा, सुकवाहा, पाठापुर, नैगुवां, डुंगरिया, कदवारा, घुघरी, बसुधा शामिल हैं। इन गांवों के विस्थापित परिवारों को भैंसखार, राइपुरा, नंदगांयबट्टन और किशनगढ़ में बसाया जाएगा। इन चारों स्थानों पर जमीन को चिह्नित कर लिया गया है। केन बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना में पत्रा जिले के 11 गांव विस्थापित किए जाएंगे। पहले 8 गांवों को विस्थापित करने के लिए चिह्नित किया गया था। इनमें पन्ना तहसील के गहदरा, कटहरी बिलहटा, मझौली, कोनी और डोंडी और अमानगंज तहसील के खमरी, कूडऩ और मरहा गांव शामिल हैं। इसके अलावा ललार, रमपुरा, जरधोबा और कंडवाहा गांवों की भी शासकीय राजस्व भूमि विस्थापित करने का फैसला लिया गया है, तीनों गांवों में लोक सुनवाई की जा चुकी है। विस्थापित होने वाले सभी 11 गांव पीटीआर के अंदर बसे हुए हैं। इन गांवों की जमीनों को पन्ना टाइगर रिजर्व को सौंप दिया जाएगा।
प्राधिकरण ने परियोजना के तहत अब तक पन्ना और छतरपुर जिला प्रशासन के माध्यम से 4 हजार हेक्टेयर जमीन पन्ना टाइगर रिजर्व (पीटीआर) को सौंप दी है। इसमें से 3400 हेक्टेयर छतरपुर जिले में और 600 हेक्टेयर पन्ना जिले में सौंपी गई है। इसके अलावा एक हजार हेक्टेयर राजस्व भूमि को छतरपुर जिले में सौंपने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। इसके अलावा जंगल में बसे गांवों को भी विस्थापित किया जा रहा है। विस्थापन से खाली होने वाली 1300 हेक्टेयर निजी जमीन भी पीटीआर को सौंप दी जाएगी।
केन-बेतवा लिंक परियोजना का निर्माण कार्य आठ साल में पूरा होगा। निर्माण कार्य की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। परियोजना के प्रीकंस्ट्रक्शन और इनवेस्ट सर्वे के लिए 243 दिन का समय तय किया गया है। वहीं 730 में जमीन अधिग्रहण का लक्ष्य रखा गया है। जबकि पहुंच मार्ग के लिए 487 दिन, प्रोजेक्ट रोड के लिए 488 दिन, ऑफिस व कर्मचारी निवासी के लिए 518 दिन और निर्माण के लिए बिजली उपलब्ध कराने के लिए 549 दिन का लक्ष्य रखा गया है। वहीं विस्तृत डिजाइन व ड्राइंग के लिए 730 और टेंडर प्रक्रिया के लिए 640 दिन का समय तय किया गया है।
टेंडर की प्रक्रिया के बाद डाइवर्सन नहर की खुदाई का काम शुरु होगा। जिसके लिए 182 दिन का समय तय किया गया है। वहीं कांक्रीट व कॉफर डैम निर्माण के लिए भी 182 दिन का समय लगेगा। इसके बाद परियोजना के मुख्य बांध ढोढऩ का अर्थवर्क शुरु होगा। बांध के फाउंडेशन कार्य में ही 1917 दिन यानि 5 साल का समय लगेगा। वहीं बांध का कांक्रीट वाला हिस्सा निर्माण करने के लिए 2098 दिन यानि इसमें भी 5 साल से ज्यादा का समय लगेगा। सबसे अंत में पावर हाउस का काम्पलेक्स बनाया जाएगा। जिसके निर्माण में 912 दिन का समय लगेगा। इस तरह से मुख्य बांध का संपूर्ण निर्माण कार्य 8 साल में पूरा होगा।