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छतरपुर

टेंडर प्रक्रिया में अटका सोलर प्लांट, निर्माण की शुरूआत में दो से तीन महीने की होगी देरी

बरेठी में लगाए जा रहे प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े सोलर प्लांट की टेंडर प्रक्रिया में देरी हो गई है। छह माह में टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाने से अब प्लांट निर्माण की शुरूआत में भी देरी होगी। अभी प्रक्रिया में ही दो महीने और लगना है।

छतरपुरSep 04, 2024 / 10:32 am

Dharmendra Singh

solar plant

सोलर प्लांट प्रोजेक्ट ऑफिस

छतरपुर. बरेठी में लगाए जा रहे प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े सोलर प्लांट की टेंडर प्रक्रिया में देरी हो गई है। छह माह में टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाने से अब प्लांट निर्माण की शुरूआत में भी देरी होगी। अभी प्रक्रिया में ही दो महीने और लगना है। ऐसे में सितंबर में शुरू होने वाला निर्माण कार्य अब दो से तीन महीने की देरी से शुरू हो पाएगा।

3200 करोड़ आएगा खर्च


2800 एकड़ में 630 मेगावाट का प्लांट नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी)की सहायक कंपनी रिन्युअल एनर्जी लिमिटेड की निगरानी में होगा। सोलर प्लांट निर्माण की अनुमानित लागत करीब 3 हजार 200 करोड़ रुपए बताई जा रही है। इससे 3 लाख घरों को रोशन किए जाने की कार्ययोजना तैयार की गई है। प्लांट को अल्ट्रा मेगा नवीनीकरण ऊर्जा पावर पार्क योजना के तहत 8 चरणों में बनाया जाएगा। यहां ग्रिड हरित बिजली की आपूर्ति होगी। प्लांट संचालित होने के बाद हर साल 12 लाख टन तक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा।

2 हजार स्थानीय युवाओं को स्थाई रोजगार


सोलर प्लांट खुलने से युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इससे रोजगार की तलाश में महानगरों की तरफ पलायन करने वाले युवाओं की संख्या में कमी आएगी। एनटीपीसी के अधिकारियों के मुताबिक युवाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मुहैया कराने के प्रयास किए जाएंगे। इस संयंत्र के निर्माण के वक्त लगभग 8 हजार लोगों को 2 वर्ष तक निर्माणाधीन अवधि में रोजगार मुहैया होगा। सौर ऊर्जा संयंत्र के अस्तित्व में आने के बाद रेगुलर रूप में 1500 से लेकर 2 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। राज्य शासन की नीति के तहत 70 फीसदी स्थानीय लोगों को अनस्किल्ड लोगों को ट्रेनिंग देकर रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा तो वहीं टेक्निकल दक्षता में निपुण 30 फीसदी लोगों को रोजगार दिया जाएगा। इसके साथ ही राजनगर व बिजावर जनपद इलाके में बिजली की समस्या से निजात मिलेगी।

पहले थर्मल पावर प्लांट की थी योजना


यह कार्य करीब 28 हजार करोड़ रुपए की लागत से 2013 में स्वीकृत हुआ। लेकिन इसमें अड़चनें आने के कारण 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी सोलर पावर प्लांट की योजना बनाई गई। पर्यावरण मंजूरी न मिलने के कारण 2017 में सोलर पावर प्लांट लगाने की योजना बन कर तैयार हुई। सोलर प्लांट लगाने का मार्च 2023 में लक्ष्य रखा गया, लेकिन वन विभाग की अनुमतियों के कारण योजना की शुरुआत में देर हो गई।

चुनाव के पहले रखी गई थी आधारशिला


बरेठी में सौर ऊर्जा प्लांट के निर्माण के लिए केंद्रीय मंत्री व स्थानीय सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार ने लगभग 6 माह पूर्व आधारशिला रखी थी। तब जानकारी दी गई थी, इसका निर्माण दो साल में पूरा हो जाएगा, लेकिन सच्चाई यह है कि आधारशिला रखे करीब 6 माह होने को हैं, और यहां निर्माण के नाम पर एक ईंट भी नहीं रखी गई है। ऐसे में सवाल यह है कि जब लोकसभा चुनाव पूर्व इतनी जल्दबाजी में इस प्लांट की आधारशिला रखी गई थी तो इसका काम समय से प्रारंभ करवाने की प्रक्रिया भी जनप्रतिनिधियों व स्थानीय प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए, इसमें लापरवाही से युवाओं में निराशा है।

इनका कहना है


सोलर प्लांट के लिए टेंडर खुलना बाकी है। इसके बाद अवार्ड पारित होगा और निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। हालांकि दो माह या इससे अधिक का समय लग सकता है।
एसपी पांडेय, क्षेत्रीय अधिकारी, एनटीपीसी

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