scriptसरकारी एंबुलेंस सड़क किनारे सड़ रही, अस्पताल के सामने निजी एंबुलेंस का कब्जा | private ambulance occupied in front of the hospital | Patrika News
छतरपुर

सरकारी एंबुलेंस सड़क किनारे सड़ रही, अस्पताल के सामने निजी एंबुलेंस का कब्जा

पुलिस लाइन कंट्रोल रुम के सामने खड़ी दो एंबुलेंस के खराब हो गए टायर,सुधार नहींवहीं बिना पंजीयन चल रही निजी एंबुलेंस, यातायात कर रही बाधित

छतरपुरAug 23, 2022 / 03:39 pm

Dharmendra Singh

पुलिस लाइन कंट्रोल रुम के सामने खड़ी दो एंबुलेंस के खराब हो गए टायर,सुधार नहीं

पुलिस लाइन कंट्रोल रुम के सामने खड़ी दो एंबुलेंस के खराब हो गए टायर,सुधार नहीं

छतरपुर। मरीजों की सुविधा के लिए संचालित सरकारी एबुलेंस जिला मुख्यालय पर सड़क किनारे पड़ी पड़ी खराब हो रही हैं। जबकि निजी एंबुलेंस का जिला अस्पताल के आसपास कब्जा जम गया है। जिला अस्पताल एवं अन्य निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को इलाज के लिए बाहर भेजने हेतु 108 एंबुलेंस के अलावा सरकारी एंबुलेंस भी मौजूद रहती हंै। इसके बावजूद एंबुलेंस माफिया से साठगांठ के कारण सरकारी एंबुलेंस मरीजों को नहीं मिल पाती। इसी साठगांठ का नतीजा है कि जिले में तेजी से निजी एंबुलेंस संचालित करने का कारोबार फलफूल रहा है। जिला अस्पताल के दोनों गेटों पर निजी एंबुलेंस का काफिला मौजूद रहता है, जबकि सरकारी एंबुलेंस जिला अस्पताल से डेढ़ किलोमीटर दूर पुलिस कंट्रोल रुम के सामने खड़ी रहती है। इनमें से कई एंबुलेंस के परमानेंट खड़े रहने के कारण उनके टायर तक सड़ गए हैं।
यातायात भी कर रही बाधित
इन दिनों छतरपुर के आकाशवाणी तिराहे से लेकर छत्रसाल चौक तक हाइवे किनारे बड़ी संख्या में एंबुलेंस गाडिय़ां खड़ी नजर आती हैं। ये गाडिय़ां हाइवे को ही अपना गैरेज बना चुकी हैं। लगभग 20 गाडिय़ां खड़ी हो जाने के कारण छत्रसाल चौक से लेकर आकाशवाणी तिराहे तक दिन भर यातायात प्रभावित हो रहा है। वहीं, जिला अस्पताल के महल मार्ग वाले गेट पर भी निजी एंबुलेंस का कब्जा जमा हुआ है। नर्मदा अस्पताल के द्वारा भी अपनी एंबुलेंस गाडिय़ों एवं अन्य वाहनों को इसी हाइवे पर पार्क किया जाता है जिससे लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। शहर के जाने-माने समाजसेवी शंकरलाल सोनी ने कहा कि इन एंबुलेंस संचालकों के द्वारा खुलेआम सड़क पर कब्जा कर लिया जाता है जिससे आम लोग परेशान होते हैं एवं हादसों का खतरा भी बना रहता है।
कमीशन का नेटवर्क
जिला अस्पताल व अन्य अस्पतालों से झांसी रेफर होने वाले मरीज व उनके परिजनों को सावधान करने वाली खबर है। जिले से हर महीने करीब 150 मरीज इलाज के लिए झांसी रेफर किए जाते हैं। झांसी में नर्सिंग होम और एंबुलेंस वालों के बीच कमीशनबाजी का बड़ा खेल चल रहा है। एंबुलेंस वाले 30 फीसदी कमीशन लेकर झांसी के निजी अस्पतालों में मरीज पहुंचा रहे हैं। यह लोग रास्ते में मरीज और उनके घर वालों को एक ऐसा डाक्टर सुझाते हैं जिससे उनकी सेटिंग होती है।
दो महीने पहले बिना वैध दस्तावेज पकड़ी गई थी 9 एंबुलेंस
आरटीओ विक्रम जीत सिंह कंग और उनकी टीम ने निजी अस्पताल और जिला चिकित्सालय के पास दो महीने पहले एंबुलेंस की चेकिंग की, जिसमें 9 एंबुलेंस वाहनों को चेक किया गया, जिसमें से किसी में फिटनेस एवं अन्य दस्तावेज नहीं पाए गए, उनको जब्त भी किया गया। एंबुलेंस चालकों और उनके मालिकों को समझाइश दी गई कि एंबुलेंस में अग्निशमन यंत्र, फस्र्ट एड बॉक्स, ऑक्सीजन की उपलब्धता और सभी दस्तावेज पूर्ण कराकर ही एंबुलेंस का संचालन करें तथा एंबुलेंस को निर्धारित स्थान पर ही खड़ा करें तथा किराया सूची चस्पा करें, जिससे किसी भी मरीजों को असुविधा न हो। लेकिन कार्रवाई के वाबजूद सुधार नहीं है।
विभागों में पंजीयन नहीं
छतरपुर शहर में ही तकरीबन 20 से अधिक प्राइवेट एंबुलेंस संचालित की जा रही हैं। इस संबंध में जब सीएमएचओ कार्यालय से जानकारी चाही गई तो सीएमएचओ डॉ. विजय पथौरिया ने कहा कि हमारे यहां किसी भी निजी एंबुलेंस का पंजीयन नहीं कराया गया है। कोरोना काल के दौरान यह बात सामने आयी थी कि निजी एंबुलेंस संचालकों के द्वारा लोगों से मनमाना किराया वसूला जाता है। इस संबंध में पूर्व कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह के द्वारा एक रेट सूची भी निर्धारित की गई थी लेकिन इस रेट सूची का भी पालन कराने वाला कोई विभाग नहीं है।
इनका कहना है
मरीजों का परिवहन करने के लिए एंबुलेंस संचालकों को पंजीयन कराया अनिवार्य है लेकिन यदि बिना पंजीयन के एंबुलेंस गाडिय़ां चल रही हैं तो इनकी जांच कराएंगे।
डॉ. लखन तिवारी, सीएमएचओ, छतरपुर

Hindi News / Chhatarpur / सरकारी एंबुलेंस सड़क किनारे सड़ रही, अस्पताल के सामने निजी एंबुलेंस का कब्जा

ट्रेंडिंग वीडियो