पौराणिक मान्यता
छतरपुर जिलें के हमा गांव में बना यह काली देवी माता का मंदिर जहां पर विराजमान मां काली देवी अपने भक्तों को तीन रूपों में दर्शन देती हैं।लोगों को तीन रूपों में दर्शन देने का यह सिलसला कोई नया नहीं बल्कि 300 सालों से चला आ रहा है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि माता रानी कलकत्ता से आईं थीं और एक यज्ञ-हवन के दौरान कन्या रूप में प्रगट होकर प्रतिमा के रूप में यहां स्थापित हो गईं थीं।
सच्चे मन से मिलते हैं दर्शन
प्राचीन मंदिर की अनोखी नक्काशी और प्राकृतिक छटा के बीच बना यह मंदिर माता के दरबार को और भी भव्य बनाता है। वैसे तो हमेशा मां के भक्त उनके बाल्य, वयस्क और वृद्धावस्था के दर्शन करने के लिए देश के कोने कोने से आते हैं परंतु नवरात्रि में माता का महत्व और भी बढ़ जाता है। यहां प्रति दिन सैकड़ो की संख्या में महिलाएं और पुरुष दर्शन करने के लिए आते हैं। लोक मान्यता अनुसार जो सच्ची श्रद्धा-भावना से मां के इन रूपों के दर्शन की कामना से यहां आता है मां उसे ही अपने इन रूपों के दर्शन देती हैं। माता के इस चमत्कार से अब यहां पर दूर दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। लोग यहां पर अपनी श्रद्धा के अनुसार माता की पूजा अर्चना कर परिवार के साथ पुन्य कमाते हैं।