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छतरपुर

साइनबोर्ड, विजिटिंग कार्ड, घोषणाओं में कंसलटेंट व विशेषज्ञ लिखकर ज्यादातर डॉक्टर कर रहे मरीजों को भ्रमित

चिकित्सा बोर्ड के मुताबिक चिकित्सक खास क्षेत्र से संबंधित विविध क्षेत्रों में प्रशिक्षण कर कौशल हासिल कर सकते हैं। लेकिन कंसलटेंट-विशेषज्ञ केवल उन्हीं चिकित्सकों के सिलसिले में उपयोग किया जाना चाहिए जो खास विशेषज्ञता रखते हों। लेकिन शहर में इन मानकों का न पालन हो रहा है न कोई जांच होती है।

छतरपुरJan 24, 2025 / 10:43 am

Dharmendra Singh

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सरकारी डॉक्टरों के निजी क्लीनिक में लगे साइन बोर्ड

छतरपुर. राष्ट्रीय चिकित्सा बोर्ड के मुताबिक डॉक्टरों के साइनबोर्ड, विजिटिंग कार्ड, घोषणाओं में कंसलटेंट या विशेषज्ञ लिखने का अधिकार सभी डॉक्टरों को नहीं है। लेकिन छतरपुर शहर में ज्यादातर डॉक्टर मरीजों व लोगों को गुुमराह कर रहे हैं। चिकित्सा बोर्ड के मुताबिक चिकित्सक खास क्षेत्र से संबंधित विविध क्षेत्रों में प्रशिक्षण कर कौशल हासिल कर सकते हैं। लेकिन कंसलटेंट-विशेषज्ञ केवल उन्हीं चिकित्सकों के सिलसिले में उपयोग किया जाना चाहिए जो खास विशेषज्ञता रखते हों। लेकिन शहर में इन मानकों का न पालन हो रहा है न कोई जांच होती है।

क्लीनिक के बोर्ड लगाने के नियमों का भी पालन नहीं


चिकित्सकों द्वारा अपने क्लीनिकों के बाहर बोर्ड लगाने में नियमों की अनदेखी की जा रही है, जिसके कारण न केवल शहर की सुंदरता प्रभावित हो रही है, बल्कि यह नियमों के उल्लंघन का भी संकेत देता है। कई चिकित्सक बिना नगरपालिका या अन्य संबंधित प्राधिकृत विभागों से अनुमति प्राप्त किए बिना अपने क्लीनिकों के बाहर बड़े और असंगठित बोर्ड लगा रहे हैं, जो सार्वजनिक स्थानों पर अव्यवस्था उत्पन्न कर रहे हैं। नगर पालिका और प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार क्लीनिकों के बाहर लगाए जाने वाले बोर्डों का आकार, डिजाइन और स्थान निर्धारित किया गया है। इन बोर्डों को निर्धारित मानकों के तहत ही लगाया जाना चाहिए, ताकि यह न केवल आकर्षक दिखे, बल्कि शहर की व्यवस्थित छवि को भी बनाए रखें। लेकिन छतरपुर में कई चिकित्सकों ने इन नियमों का पालन नहीं किया है, जिससे शहर की सडक़ों और प्रमुख स्थानों पर बोर्डों की भीड़ लग गई है।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के साइन बोर्ड को लेकर ये हैं नियम


राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के मुताबिक किसी चिकित्सक को आम तौर पर बड़े साइनबोर्ड का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उस पर अपने नाम, योग्यता, उपनाम, स्पेशलाइजेशन और रजिस्ट्रेशन नंबर के अलावा अन्य कुछ भी नहीं लिखना चाहिए। पर्ची पर भी यही सारे फैक्ट्स होने चाहिए। एनएमसी की ई-पुस्तिका- प्रोफेशनल कंडक्ट रिव्यू-लेसन्स फ्रॉम केस आर्काइव्स में इसका जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि किसी दवा दुकान पर या जहां चिकित्सक नहीं रहता है या काम नहीं करता है, उन जगहों पर साइनबोर्ड लगाना सही नहीं है।

कदाचरण की शिकायतों से मिली सीख को फैलाने की जरूरत


साइनबोर्ड, विजिटिंग कार्ड, घोषणाओं आदि लोगों को गुमराह करने पर अपीलीय निकाय के तौर पर नैतिक और चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड कदाचार के मामलों की सुनवाई करता रहा है। साथ ही उनमें फैसले सुनाता रहा है। बोर्ड के सदस्य डॉ. योगेंद्र मलिक ने कहा कि चिकित्सकों के खिलाफ शिकायत के मामलों से मिली सीख को फैलाने की जरूरत है।

नियमों का उल्लंघन और प्रशासन की चुप्पी


नियमों के मुताबिक, चिकित्सक और अन्य पेशेवरों को अपने क्लीनिक के बाहर बोर्ड लगाने के लिए नगर पालिका से अनुमति प्राप्त करनी चाहिए, जिसमें बोर्ड के आकार, डिजाइन और स्थान को लेकर स्पष्ट निर्देश होते हैं। लेकिन अधिकांश चिकित्सक इस नियम को नजरअंदाज कर रहे हैं, और बोर्ड बिना किसी उचित अनुमति के लगा दिए जा रहे हैं।


प्रशासन का त्वरित हस्तक्षेप जरूरी


विशेषज्ञों का कहना है कि शहर की सुंदरता और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन को इस मुद्दे पर शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए। एक व्यवस्थित और खूबसूरत शहर नागरिकों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। इसके लिए प्रशासन को नियमों के उल्लंघन करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि शहर में प्रदूषण और अव्यवस्था की समस्या न बढ़े। इसके साथ ही, प्रशासन को चिकित्सकों और अन्य व्यवसायिक व्यक्तियों को इन नियमों के बारे में जागरूक करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी अनदेखी न हो। इस दिशा में शिक्षा, जानकारी और सख्त प्रवर्तन के माध्यम से ही सुधार संभव है।

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