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छतरपुर

जिला अस्पताल में रोजाना 4 से 5 मरीज हार्ट अटैक से पीडि़त होकर आ रहे हैं मरीज

जिले में कड़ाके की ठंड का दौर फिर से शुरू हो गया है। ठंड के चलते कार्डियक अरेस्ट (हार्ट अटैक) की घटनाओं में तेजी से इजाफा हो गया है। ठंड के कारण दिल से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं और इस समय रोजाना जिला अस्पताल में 4 से 5 मरीज हार्ट अटैक के कारण पहुंच रहे हैं।

छतरपुरDec 27, 2024 / 10:41 am

Dharmendra Singh

district hospital

जिला अस्पताल छतरपुर

छतरपुर. जिले में कड़ाके की ठंड का दौर फिर से शुरू हो गया है। ठंड के चलते कार्डियक अरेस्ट (हार्ट अटैक) की घटनाओं में तेजी से इजाफा हो गया है। ठंड के कारण दिल से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं और इस समय रोजाना जिला अस्पताल में 4 से 5 मरीज हार्ट अटैक के कारण पहुंच रहे हैं। पिछले डेढ़ महीने में 100 से अधिक मरीजों की धडकऩें रुकीं, हालांकि सही समय पर इलाज मिलने से उनकी जान बचाई जा सकी।

ठंड में बढ़ते दिल के दौरे का खतरा


मौसम में हो रहे बदलाव के कारण सर्दियों में दिल के दौरे की घटनाएं ज्यादा हो जाती हैं। ठंड के कारण धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। जिला अस्पताल के सीएमएचओ डॉ. आरपी गुप्ता ने बताया कि ठंड बढऩे के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों में वृद्धि हो जाती है। इस दौरान दिल तक खून पहुंचाने वाली धमनियों में रुकावट आ जाती है, जिससे हार्ट अटैक होता है। उन्होंने बताया कि सर्दियों में इस तरह की समस्याएं बढऩे पर मरीजों को निजी वाहनों की जगह एंबुलेंस का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। एंबुलेंस में सभी प्रकार के जीवन रक्षक उपकरण होते हैं और प्रशिक्षित मेडिकल कर्मचारी मरीज की जान बचाने में मदद करते हैं। डॉ. गुप्ता के मुताबिक, अस्पताल में समय पर इलाज मिलने से लगभग 98 प्रतिशत मरीज ठीक हो जाते हैं।

हार्ट अटैक के लक्षणों पर ध्यान दें


मौसमी बदलाव के दौरान हार्ट अटैक के लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है। सीने, बांह, कोहनी या छाती में असहजता, दबाव, भारीपन या दर्द का अहसास हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है। इसके साथ ही शरीर में कमजोरी, दिल की धडकऩों का अनियमित होना भी खतरनाक संकेत हो सकते हैं। इस प्रकार के लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

बुजुर्गों को एलर्जिक ब्रोंकाइटिस का खतरा


कड़ाके की ठंड में बुजुर्गों को एलर्जिक ब्रोंकाइटिस और वायरल बुखार का खतरा अधिक होता है। इसमें मरीज को पहले बुखार आता है, फिर खांसी और सांस की परेशानी होने लगती है। फेफड़ों की नली में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। इस बीमारी का समय पर इलाज न करने से इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है और अन्य गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।

सर्दियों में ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक से बचने के उपाय


जिला अस्पताल के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. जीएल अहिरवार ने बताया कि मौसमी बीमारियों से बचने के लिए डॉक्टरों के पास तत्काल इलाज के लिए जाना चाहिए, क्योंकि लापरवाही से गंभीर बीमारी हो सकती है। ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक से बचने के लिए इम्यूनिटी को मजबूत रखना जरूरी है। डॉ. अहिरवार ने कहा कि सर्दियों में लोग नहाने के तरीके में बदलाव कर सकते हैं। नहाते समय पहले पैर और फिर कंधे पर पानी डालें, उसके बाद सिर को भिंगाएं। सीधे सिर पर पानी डालने से दिल के दौरे और पैरालाइसिस का खतरा बढ़ सकता है।

हार्ट अटैक से एक साल में 60 मौतें


जिला अस्पताल में पिछले एक साल में हार्ट अटैक से लगभग 60 लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी। डॉक्टरों के मुताबिक, नवंबर से फरवरी तक हार्ट अटैक की घटनाएं अधिक होती हैं। इसलिए इस मौसम में खासतौर पर दिल के मरीजों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

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