हूटर लगाना पेशन बना
राजनीतिक दबाव के चलते ऐसे हूटरबाजों से कार्रवाई नहीं हो पाती है। जनप्रतिनिधियों में हूटर लगाने का पेशन सा हो गया है। जब तक इन पर अभियान चलाकर कार्रवाई नहीं होगी तो तब तक यह बंद नहीं होगी। इसके बाद कई दुकान जाकर देखा गया तो आसानी से हूटर मिल जा रहा है। इन दुकानदारों को भी कार्रवाई होने का कोई डर नहीं है। ऐसे में खुलेआम बेच रहे हैं। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि एक भी हूटर लगे वाहनों पर ट्रैफिक पुलिस व यातायात विभाग द्वारा कार्रवाई नहीं की गई है। हालांकि ट्रैफिक पुलिस व यातायात विभाग का कहना है कि अब अभियान चलाकर ऐसे हूटर वाले वाहनों पर कार्रवाई की जाएगी।
नियम में मंत्री व विधायक का जिक्र नहीं
केन्द्रीय मोटरयान नियम 119 में तय किया है। जिसमें एंबुलेंस, फायर बिग्रेड, आकस्मिक सेवा में चलने वाली गाड़ी और परिवहन विभाग के अफसरों की गाडिय़ों पर हूटर लगाया जा सकता है। राज्य सरकार के नियम में भी ऐसा ही है। इसके बावजूद नियम का जिले में कहीं पालन नहीं हो रहा है। सबसे ज्यादा नियम कांग्रेस सरकार के जनप्रतिनिधि ही तोड़ रहे हैं।
एंबुलेंस में भी मरीज होने पर ही हूटर का हो सकता है इस्तेमाल
मोटरयान अधिनियम के विरुद्ध निजी वाहनों में हूटर का उपयोग हो रहा है। छुटभैये नेता अपने वाहनों में खुलेआम हूटर लगाकर घूम कर रहे हैं। फायर ब्रिगेड के वाहन या एम्बुलेंस में हूटर लगाने का नियम है, लेकिन उसके उपयोग को लेकर भी नियम बना हुआ है। जब फायर ब्रिगेड का वाहन आग बुझाने जा रहा हो या एम्बुलेंस में मरीज हो, तभी हूटर बजाया जा सकता है। इसके अलावा राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति, विधानसभा अध्यक्ष की पायलटिंग में लगे वाहन, कार्यपालिक दंडाधिकारी के वाहन और उनकी अधिकारिता में कानून व्यवस्था बनाने वाले अधिकारियों के वाहनों पर भी हूटर लग सकता है।