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छतरपुर

दो दिन के अवकाश के बाद खुला जिला अस्पताल, डॉक्टर व दवाओं के लिए परेशान रहे मरीज

सबसे ज्यादा समस्या तब आई जब जिला अस्पताल के जन औषधि केंद्र में आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता की गंभीर समस्या सामने आई है। इससे अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें महंगी दवाइयों के लिए बाहरी मेडिकल स्टोर्स का सहारा लेना पड़ रहा है।

छतरपुरOct 15, 2024 / 10:52 am

Dharmendra Singh

hospital

ओपीडी में लाइन

छतरपुर. दो दिन के अवकाश के बाद सोमवार को जिला अस्पताल में मरीजों की भीड़ उमड़ी। 810 मरीजों को ओपीडी में पंजीयन हुआ। लेकिन इन मरीजों को डॉक्टर से दवा लिखवाने के लिए एक से डेढ़ घंटे तक लाइन में खड़े रहना पड़ा। फिर दवा की लाइन में भी आधा घंटे से ज्यादा समय लगा। सबसे ज्यादा समस्या तब आई जब जिला अस्पताल के जन औषधि केंद्र में आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता की गंभीर समस्या सामने आई है। इससे अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें महंगी दवाइयों के लिए बाहरी मेडिकल स्टोर्स का सहारा लेना पड़ रहा है।

ये दवाइयां न मिलने से रहे परेशान


केस 01-सोनम मिश्रा, 27 वर्ष
महावीर कॉलोनी की सोनम मिश्रा सोमवार सुबह 11 बजे अस्पताल पहुंचीं। उन्हें हाथ में करंट लगने की समस्या थी। डॉक्टर ने जरूरी टैबलेट लिखी, लेकिन जन औषधि केंद्र में यह दवा उपलब्ध नहीं थी। उन्हें निजी मेडिकल स्टोर से दवा खरीदनी पड़ी।
केस 02- रचना नामदेव, 28 वर्ष
सीताराम कॉलोनी निवासी रचना को घबराहट, नींद न आना, और भूख न लगने की समस्या थी। सुबह 11.30 बजे अस्पताल पहुंचीं। एक घंटे लाइन में लगने के बाद नंबर आया और डॉक्टर ने दवा लिखी। लेकिन दवा जन औषधि केंद्र में नहीं मिली।
केस 03- शिवम नामदेव, 24 वर्ष
कछियाना मोहल्ला निवासी शिवम अपने 5 वर्षीय बेटे वंश को बुखार, खांसी और सर्दी की समस्या के चलते 11 बजे अस्पताल लाए। डॉक्टर ने बच्चे के लिए दवाएं लिखी, लेकिन जन औषधि केंद्र में आवश्यक दवाइयां उपलब्ध नहीं थीं।
केस 04- विकास कुमार, 55 वर्ष
महोबा रोड निवासी विकास कुमार दांत दर्द और सूजन की समस्या के चलते 11.30 बजे अस्पताल आए। डॉक्टर ने 6 टैबलेट लिखीं, जिनमें से 4 दवाएं जन औषधि केंद्र में उपलब्ध थीं, लेकिन 2 जरूरी दवाइयां नहीं मिलीं। जो उन्हें निजी मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ी।

ये डॉक्टर के लिए परेशान रहे

केस 01
वार्ड क्रमांक 21 निवासी भावना राजे उम्र 30 वर्ष अपने 11 महीने के बच्चे काव्यांश को सर्दी खांसी की समस्या के चलते बाल शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ श्वेता चौरसिया को दिखाने 11 बजे जिला अस्पताल आई थी,जहां डॉक्टर राउंड पर होने के कारण वह आधे घंटे तक डॉक्टर के चैंबर के बाहर उनका इतंजार करती रही। जब डॉ श्वेता चौरसिया 11.20 बजे अपने चैंबर में आई तो बहार मरीजो की लंबी लाइन लग गई,जिसके चलते भावना राजे अपने 11 महीने के बच्चे को करीब आंधे घंटे बाद डॉक्टर को दिखा पाई।
केस 02
गठेबरा निवासी काजल अहिरवार उम्र 22 वर्ष अपने दो महीने के बच्चे को पेट में दर्द की समस्या के चलते डॉ राजेश जैन को दिखाने 11 बजे जिला अस्पताल आई थी,डॉ राजेश छुट्टी पर होने के कारण वो उनका इंतजार करते हुए उनके चैंबर के बहार बेठी रही,जब 11.30 बजे जब डॉ आरके वर्मा अपने चैंबर में आये तो बाहर मरीजों की लंबी लाइन लग गई,जिससे वे अपने बच्चे को करीब आधे घंटे बाद डॉक्टर को दिखा पाई।
केस 03
नया मोहल्ला निवासी आसमीन मंसूरी उम्र 25 वर्ष अपनी तीन वर्ष की बच्ची को सर्दी,खांसी ,जुखाम के चलते डॉ राजेश जैन को दिखाने 11 बजे जिला अस्पताल आई थी,डॉ राजेश छुट्टी पर होने के कारण वो उनका इंतजार करते हुए उनके चैंबर के बहार बैठी रही,11.30 बजे जब डॉ आरके वर्मा अपने चैंबर में आये तब आधे घंटे के बाद वह अपनी बच्ची को दिखा पाई।
केस 04
नया मोहल्ला निवासी नाजरीन मंसूरी 2 वर्ष की बच्ची रिमझिम को सर्दी,बुखार की समस्या के चलते 11 बजे डॉ राजेश जैन को दिखाने आई थी,लेकिन डॉ राजेश छुट्टी पर होने के कारण वो उनका इंतजार करते हुए,उनके चैंबर के बाहर बैठी रही। जब 11.30 बजे डॉ आरके वर्मा अपने चैंबर में आए, तब आधे घंटे के बाद वह अपनी बच्ची को दिखा पाई।

दवाइयां न मिलने से मरीज परेशान


इन मामलों से यह स्पष्ट होता है कि जन औषधि केंद्रों में दवाइयों की अनुपलब्धता मरीजों के लिए गंभीर समस्या बन रही है। इससे मरीजों को महंगी दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ती हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ता है। जिला अस्पतालों में दवाइयों की कमी की यह समस्या जल्द हल न की गई तो इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। इस स्थिति में सुधार के लिए जरूरी है कि अस्पताल प्रशासन और जन औषधि केंद्र मिलकर काम करें ताकि दवाइयों की नियमित आपूर्ति हो सके।

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